Book Title: Kobatirth Parichay
Author(s): Mahavir Jain Aradhana Kendra Koba
Publisher: Mahavir Jain Aradhana Kendra Koba

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Page 3
________________ प्राप्त करते हैं. साधु-साध्वीजी भगवंतों के उच्चस्तरीय अध्ययन के लिए ज्ञानमंदिर में अपने-अपने क्षेत्र के विद्वान पंडितजनों का विशिष्ट प्रबन्ध किया गया है. यह ज्ञान, ध्यान तथा आत्माराधना के लिये उत्तम स्थल सिद्ध हो सके इस हेतु यहाँ प्रयास किये गए हैं. मुमुक्षु कुटीर : देश-विदेश के जिज्ञासुओं, ज्ञान-पिपासुओं के लिए दस मुमुक्षु कुटीरों का निर्माण किया गया है. हर खण्ड जीवन यापन सम्बन्धी प्राथमिक सुविधाओं से सम्पन्न है. संस्था के नियमानुसार विद्यार्थी मुमुक्षु सुव्यवस्थित रूप से यहाँ रह कर उच्चस्तरीय ज्ञानाभ्यास, प्राचीन एवं अर्वाचीन जैन साहित्य का परिचय एवं संशोधन तथा मुनिजनों से तत्त्वज्ञान प्राप्त कर सकते हैं. धर्मशाला : इस तीर्थ पर यात्रियों एवं मेहमानों के ठहरने की सुविधा को ध्यान में रखते हुए आधुनिक सुविधा संपन्न यात्री भवन एवं अतिथि भवन का निर्माण किया गया है. धर्मशाला में वातानुकुलित एवं सामान्य मिलाकर 46 कमरे उपलब्ध हैं. भोजनशाला एवं अल्पाहार गृह : तीर्थ पर पधारने वाले श्राव कों, दर्शनार्थियों, मुमुक्षुओं, विद्वानों एवं यात्रियों की सुविधा हेतु जैन सिद्धान्तों के अनुरूप सात्त्विक भोजन उपलब्ध कराने के लिये विशाल भोजनशाला एवं अल्पाहार गृह में सुन्दर व्यवस्था है. विश्वमैत्रीधाम बोरीजतीर्थ : गांधीनगर स्थित बोरीज गाँव के बाहर अक्षरधाम के सामने उच्चपथ पर परम पूज्य राष्ट्रसंत आचार्यदेव श्री पद्मसागरसूरीश्वरजी की प्रेरणा एवं शुभाशीर्वाद से श्री महावीर जैन आराधना केन्द्र की शाखारुप विश्वमैत्रीधाम का निर्माण हुआ है. विश्वमैत्रीधाम के तत्त्वावधान में बोरीज, गांधीनगर स्थित श्री धनलक्ष्मी महावीरस्वामी जिनमंदिर का जीर्णोद्धार कार्य पूज्यश्री की ही निश्रा में फरवरी 2003 में सम्पन्न हआ है. यहाँ पर स्थित प्राचीन मन्दिर में इसी स्थान पर जमीन में से निकली भगवान महावीरस्वामी आदि प्रतिमाओं की प्रतिष्ठा योगनिष्ठ आचार्य श्रीमद् बुद्धिसागरसूरीश्वरजी महाराज के कर कमलों से हुई थी. 108 फूट उत्तुंग नवीन मुख्य मन्दिर स्थापत्य एवं शिल्प दोनों ही दृष्टि से दर्शनीय है. इसमें 135 इंच के परिकर युक्त भगवान महावीर की 81 इंच की 16 टन वजन की भव्य धातु प्रतिमा प्रतिष्ठित की गई है. यहाँ पर पश्चिम बंगाल के जगत शेठ के द्वारा निर्मित जैनसंघ की ऐतिहासिक विरासतरूप कसौटी पत्थर की देवकुलिका की पुनर्स्थापन भी की गई है, तो दूसरी तरफ दर्शनीय समवशरण जिनालय है. मुख्य मंदिर के तलघर में प्रभु महावीर के जीवन को प्रदर्शित करती मनोरम्य झाँकियाँ बनाई गई है. निस्संदेह इससे तीर्थ की शोभा में अभिवृद्धि हो रही है . यहाँ यात्रियों की सुविधा हेतु आधुनिक सुविधायुक्त धर्मशाला एवं भोजनशाला का भी निर्माण किया गया है.

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