Book Title: Kobatirth Parichay Author(s): Mahavir Jain Aradhana Kendra Koba Publisher: Mahavir Jain Aradhana Kendra Koba View full book textPage 4
________________ ज्ञानतीर्थ : आचार्य श्री कैलाससागरसूरि ज्ञानमन्दिर : करीब 450 वर्ष प्राचीन स्फटिकरत्न की प्रभु पार्श्वनाथ की प्रतिमा से सुशोभित रत्नमंदिर से युक्त आचार्य श्री कैलाससागरसूरि ज्ञानमंदिर, श्री महावीर जैन आराधना केन्द्र की आत्मा है. यह स्वयं अपने आप में एक विशाल संस्था है. वर्तमान में ज्ञानमंदिर के अन्तर्गत निम्नलिखित विभाग कार्यरत हैं : देवर्द्धिगणि क्षमाश्रमण हस्तप्रत भांडागार : यहाँ लगभग 2,00,000 से अधिक प्राचीन दुर्लभ हस्तलिखित शास्त्र -ग्रंथ संगृहीत हैं. इनमें आगम, न्याय, दर्शन, योग, व्याकरण, इतिहास आदि विषयों से सम्बन्धित अद्भुत ज्ञान का सागर है. इस भांडागार में 3000 से अधिक प्राचीन व अमूल्य ताड़पत्रीय ग्रंथ विशिष्ट रूप से संगृहीत हैं. इतना विशाल संग्रह किसी भी ज्ञानभंडार के लिये गौरव का विषय हो सकता है. आचार्य श्री पद्मसागरसूरीश्वरजी ने अपनी भारत-भर की पदयात्रा के दौरान छोटे-छोटे गाँवों में असुरक्षित, उपेक्षित एवं नष्ट हो रही भारतीय संस्कृति के इस अनुपम धरोहर को लोगों को प्रेरित कर संगृहीत करवाई है. इनमें अनेक हस्तलिखित ग्रंथ सुवर्ण व रजत से आलेखित हैं तथा सैकड़ों सचित्र हैं. यहाँ इन बहमूल्य कृतियों को विशेष रूप से बने ऋतुजन्य दोषों से मुक्त कक्षों में पारम्परिक ढंग से विशिष्ट प्रकार की काष्ट-मंजूषाओं में संरक्षित किया गया है. क्षतिग्रस्त प्रतियों को रासायनिक प्रक्रिया से सुरक्षित करने का बृहद् कार्य किया जा रहा है. महत्वपूर्ण ग्रन्थों के माइक्रोफिल्म, कम्प्यूटर स्कैनिंग आदि भी करने का कार्य चल रहा हे. आर्य सुधर्मास्वामी श्रुतागार : ___ ज्ञानमंदिर में भूतल पर विद्वानों, संशोधकों, वाचकों आदि हेतु कक्ष/उपकक्ष सहित पाठकों के लिए अध्ययन की सुन्दर व्यवस्था युक्त यह ग्रंथालय है. यहाँ लगभग 1,35,000 से अधिक मुद्रित प्रतें एवं पुस्तकें संगृहीत हैं. ग्रंथालय में भारतीय संस्कृति, सभ्यता, धर्म एवं दर्शन के अतिरिक्ति विशेष रूप में जैनधर्म व प्राच्यविद्या से सम्बन्धित सामग्री सर्वाधिक हैं. संशोधन-अनुसंधान की इस सामग्री को इतना अधिक समृद्ध किया जा रहा है कि कोई भी जिज्ञासु यहाँ आकर जैनधर्म व प्राच्यविद्या से सम्बन्धित अपनी जिज्ञासा अवश्य ही पूर्ण कर सके. आर्यरक्षितसूरि शोधसागर : ज्ञानमंदिर में संगृहीत हस्तलिखित ग्रंथों तथा मुद्रित पुस्तकों की व्यवस्था करना एक बहुत ही जटिल कार्य है. लेकिन वाचकों को वांछित ग्रंथ सरलता से उपलब्ध हो सके इसके लिये कम्प्यूटर आधारित बहुउद्देशीय श्रुत अनुसंधान केन्द्र , ज्ञानमंदिर के द्वितीय तल पर कार्यरत है. ग्रंथालय सेवा में कम्प्यूटर का महत्त्व वर्तमान समय में अत्यंत आवश्यक हो गया है. हस्तलिखित व मुद्रित ग्रंथों, उनमें समाविष्ट कृतियों तथा पत्र-पत्रिकाओं का विशद सूची-पत्र एवं विस्तृत सूचनाएँ अपने आप में अनोखी पद्धति से विश्व में प्रथम बार कम्प्यूटराइज़ की जा रही है. इसके परिणाम स्वरूप प्रकाशन, कृति, कर्ता, संपादक, प्रकाशक, प्रकाशन वर्ष, ग्रंथमाला, कृति के आदि व अंतिम वाक्यों, रचना स्थल, रचना वर्ष आदि से संबद्ध किसी की भी कम से कम दो अक्षरों की जानकारी होने पर इनसे परस्पर संबद्ध अन्य विवरणों की विस्तृत सूचनाएँ बहुत ही सुगमता से उपलब्ध होते देख विद्वद्वर्ग आश्चर्यचकित रह जाते हैं.Page Navigation
1 2 3 4 5 6 7