Book Title: Kobatirth Parichay Author(s): Mahavir Jain Aradhana Kendra Koba Publisher: Mahavir Jain Aradhana Kendra Koba View full book textPage 6
________________ प्राचीन अर्वाचीन जैन श्रमण व गृहस्थ विद्वानों की परम्परा व उनके व्यक्तित्व-कृतित्त्व की जानकारी को संगृहीत करना. (घ) अप्रकाशित जैन साहित्य का सूचीपत्र बनाना. (2) अप्रकाशित व अशुद्ध प्रकाशित जैन साहित्य को संशुद्ध बनाकर प्रकाशित करना. (3) प्राचीन जीर्ण-शीर्ण, क्षतिग्रस्त एवं संस्था में अनुपलब्ध दुर्लभ पाण्डुलिपियों, महत्त्वपूर्ण हस्तप्रतों एवं संस्था में अनुपलब्ध प्रकाशनों का जेरोक्स, माईक्रोफिल्मिंग तथा कम्प्यूटर स्कैनिंग आदि के माध्यम से संशोधन के लिए उपलब्ध कराना. (4) जैन हस्तप्रत व मुद्रित पुस्तकालय व्यवस्थापन, प्राचीन लिपि पठन-पाठन का शिक्षण तथा समय समय पर कार्य-शिविरों, व्याख्यान आदि अनेकाविध प्रवृत्तियाँ करना. (5) प्रकाशन : हस्तलिखित ग्रंथों की सूची प्रकाशन योजना के तहत कैलास श्रुतसागर ग्रंथसूची हस्तलिखित जैन साहित्य खंड 1 से 7 तक का प्रकाशन हो गया है. इसी प्रकार क्रमशः 50 से ज्यादा खंडों में हस्तप्रतों से संबद्ध अलग-अलग प्रकार की सूचियाँ प्रकाशित करने हेतु कार्य जारी है. गुरुदेव आचार्य श्री पद्मसागरसूरीश्वरजी के प्रवचन व अन्य उपयोगी साहित्य का प्रकाशन समयसमय पर किये जा रहे हैं. आचार्य श्री भद्रगुप्तसूरिजी (प्रियदर्शन) के श्रेष्ठ साहित्य को शुद्धतापूर्वक पुनः प्रकाशन करने की शृंखला में अभी तक 20 पुस्तकें प्रकाशित हो चुकी हैं तथा निकट भविष्य में अन्य पुस्तकें भी प्रकाशित करने का आयोजन किया जा रहा है. अहमदाबाद नगर में ज्ञानमन्दिर की शाखा : अहमदाबाद के जैन बहुल क्षेत्र पालड़ी विस्तार में आचार्य श्री कैलाससागरसूरि ज्ञानमन्दिर की कम्प्यूटर सेवा से सुसज्ज शाखा में स्थानीय वाचकों की सुविधा हेतु कोबा स्थित ज्ञानमंदिर की सभी सूचनाएँ सुगमता से प्राप्त होती हैं. यहाँ से पुस्तकों के आदान-प्रदान तथा जनसंपर्क का कार्य भी होता कलातीर्थ : सम्राट सम्प्रति संग्रहालय : ज्ञानमंदिर में प्रथम तल पर यह अवस्थित है. पुरातत्त्व-अध्येताओं और जिज्ञासु दर्शकों के लिए प्राचीन भारतीय शिल्प व कला परम्परा का गौरवमय दर्शन इस स्थल पर होते हैं. पाषाण व धातु मूर्तियों, ताड़पत्र व कागज पर चित्रित पाण्डुलिपियों, लघुचित्र, पट्ट, विज्ञप्तिपत्र, काष्ट आदि से बनी प्राचीन एवं अर्वाचीन अद्वितीय कलाकृतियों तथा अन्यान्य पुरावस्तुओं को बहुत ही प्रभावोत्पादक ढंग से धार्मिक व सांस्कृतिक गौरव के अनुरुप यहाँ पर प्रदर्शित किया गया है. इस संग्रहालय का विशिष्ट आकर्षण परमार्हत कुमारपाल खंड है, जहाँ विशेष रुप से जैन श्रुत की श्रवण परम्परा से प्रारम्भ कर शिला, ताम्रपत्र, भूर्जपत्र, ताड़पत्र तदनन्तर हाथ से बने कागज पर लेखन कला के विकास की यात्रा दर्शाई गई है, जिसे देख कर हमें अपने पूर्वजों द्वारा उपलब्ध किये गये आध्यात्मिक उत्कर्ष, सांस्कृतिक गौरव एवं कला की श्रेष्ठता के दर्शन होते हैं. संग्रहालय को और भी समृद्ध करने के प्रयास किए जा रहे हैं. संग्रहालय शीध्र ही नूतन भवन में स्थानान्तरित किया जाएगा. यहाँ समय-समय पर विशिष्ट प्रदर्शन भी आयोजित किये जाते हैं.Page Navigation
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