Book Title: Khartargaccha Pattavali Sangraha
Author(s): Jinvijay
Publisher: Babu Puranchand Nahar

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Page 74
________________ वीरप्रभ [ १० ] नाम पृष्ठ नाम बच्छावत ३४,३८ विन्ध्य राजा वच्छामृत ३४ विपुलपुज्जपुर वज्र ( -सूरि-स्वामी,-मुनीन्द्र) २,६,१८,१९ विबुधप्रभ सरि वज्रसेन (-सुरि,-प्राचार्य) १५ विमल (-दंडनायक,-मंत्री) १०,२१,४३ वज्रशाखा (वयरालाहा) १५ विमलगिरि बड नगर (वृद्धनगर) २५,५० विमल चंद्रसुरि वडली ३४ विमलवसति ( वसही) १०,२१ वढा प्राचार्यांया गच्छ १३ विमलादे वनवासी १६ विवेकसमुद्र उपाध्याय पनाह नदो १३,५६ विशेषावश्यक भाष्य वयष (वहव) नदी १३,५६ वीर क्षेत्रपाल षयरी १५ वीरनाथ योगीन्द्र वराहमिहिर वर्धमान वीरसूरि वर्धमान सरि ३,१०,२०,२१,४३,४४ वीसलदे राजा वृद्धदेव सरि बल्लभी नगरी वृद्धनगर वषत साह वृद्धवादी सूरि वसभुति (ब्राह्मण) वृहत्खरतरगच्छ वागडिक (वागडी) १०,२४ वृहत्संघपट्ट वाग्भट मेरु .,११,१३,५२ वृहस्पति वाचक (वाछिग ) मंत्री १०,२४ घेगड (मंत्री) १२,५४ वात्स्य गोत्र बेगड खरतरशाखा (वेगडागच्छ, वाफमा वैकटगण) (४) वालीनाथ क्षेत्रपाल ६,१२,३१ १०,२१ वेगराज वालेवा प्राम वाल्हा देवी वावडीय ग्राम घेलाकुल पत्तन व्याघ्रपत्य गोत्र वासिष्ठ गोत्र पाहडदे १०,२४ शकडाल (पगडाल ) मंत्री २,१७ विक्रमपुर ( 'बीकानेर' देखो) सकन्दर (सिकन्दर, नरपति-पातिसाहि) ७,१३,५५ विक्रमसूरि १६ बंजय (सिद्धाचल, तीर्थ विक्रमादित्य ११-१३, १५,२०,३०, ३६-४३,५४,५६ २,६,१८,२६,५३ शय्यंभव सरि(-भट्ट) १,६,१६ विजयसिंह ___३० शान्सिसागर (-उपाध्याय, प्राचार्य) १३,३३,५६ विद्याधर (गच्छ,-कुल) ६,१८ शान्तिरि (१) विनयप्रम (-उपाध्याय, पाठक) १२,३० , (२) ३६,४० वेनातट Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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