Book Title: Ketlik Laghu Rachanao
Author(s): Shilchandrasuri
Publisher: ZZ_Anusandhan

View full book text
Previous | Next

Page 6
________________ ७६ ट्रंक नोंध : (१) अनुसन्धान-५५ उपाध्याय श्रीयशोविजयजीनी गुरु-शिष्यपरम्परा चंदराजाना रासनी १९मा सैकानी एक प्रति जोवामां आवी. तेनी पुष्पिकामां उपा. यशोविजयजीनी परम्परा विषे वांचतां ख्याल आव्यो के सं. १८६६ सुधी तो तेमनी परम्परा प्रवर्तती ज हती. त्यार पछी पण केटलोक वखत ते चालु रही होय तो ते बनवाजोग छे. ते पुष्पिका आ प्रमाणे छे : संवत १८६६ना वर्षे आसो सुदि २ दिने वार बुधे सकल भट्टारक पुरन्दर भट्टारक श्रीश्री १०८ हीरविजयसूरीश्वरजी तत्शिष्य महोपाध्याय श्री श्री १०८ श्री कल्याणविजयगणि तत्शिष्य सकलपण्डितशिरोमणी पण्डित श्री १९ लाभविजयगणि तत्शिष्य सकलपण्डितशिरोमणी नयविजयगणी तत्शिष्य सकलवाचकपुरन्दरवाचकचक्रचक्रवर्ती महोपाध्याय श्री श्री १०८ महोउपाध्याय श्रीश्री श्रीमत् यशोविजयगणी तत्शिष्य सकलपण्डितशिरोमणी पण्डित श्री १९ श्री गुणविजयगणी तत्शिष्य सकलवाचकपुरन्दर वाचक महोउपाध्याय श्रीश्री १०८ श्रीसुमतिविजयगणी तत्शिष्य सकलपण्डित शिरोमणी पण्डित श्री श्री १९ उत्तमविजयगणी तत्शिष्य सकलपण्डितशिरोमणी पण्डित श्रीश्री १९ श्रीप्रतापविजयगणी तत्शिष्य पं. गंगविजयेन लिपीकृतं च भूधरजी कान्हुजीरामजी कान्हुजी वाचनार्थं श्रीमुंबईबंदिरे श्रीगोडीपार्श्वनाथप्रसादात् । श्रीरस्तु कल्याणमस्तु श्रेयोस्तु शुभं भवतु ॥ आना परथी उपाध्यायजी महाराजनी पांच पेढी सुधी तो शिष्यपरम्परा चाली हती ते नक्की थाय छे, अने वधुमां तेमनी पांचमी पेढीना शिष्य मुम्बई पण गया हता अने गोडीजीना प्रख्यात देरासरमां आ पोथी तेओए लखी हती ते पण जाणवा मळे छे. मुनि धुरन्धर विजय 'अरिहंत' समृद्धि एपा. पासे, हाई-वे, डीसा - ३८५५३५

Loading...

Page Navigation
1 ... 4 5 6 7 8 9 10 11 12