Book Title: Ketlik Laghu Rachanao Author(s): Shilchandrasuri Publisher: ZZ_Anusandhan View full book textPage 1
________________ मई २०११ केटलीक लघुरचनाओ ___- शी. फुटकळ पत्रोमांथी जडेली थोडीक लघु गुर्जर काव्यरचनाओ अहीं प्रस्तुत छे. तेनो सामान्य परिचय - प्रथम गौतमस्वामि-चउपई छे. भगवान महावीरना प्रथम शिष्य गौतम स्वामी, तेमां वर्णन छे. कर्ता मुनि जयसागर छे. रचना १८मा शतकनी के तेथी मोडी होय तेम जणाय छे. बीजी रचना गहुँली छे, ते भगवान महावीरनां पांचमा शिष्य अने वर्तमान जैन श्रमण परम्पराना आदि आचार्य-गुरु सुधर्मस्वामीनी स्तुतिरूप छे. त्रीजी रचना पण सुधर्मस्वामीनी गहुंली ज छे. आचार्यना गुण ३६ छे. ते ३६ पण ३६ रीते गणावी शकाय छे. तेमांथी चार रीतनी छत्रीशी आ गहुंलीमां वर्णवाई छे. तेथी ज तेने 'षट्त्रिंशकाचतुष्कगर्भितगूहलीगीत' एवं नाम आपेल छे. गहुंली सार्वजनिक चीज गणाती होई तेमां तेना रचनार- नाम लगभग नथी होतुं. ___ चोथी रचना छे तो गहुंली ज, पण तेनुं नाम 'सौधर्मगणधरभास' एवं अपायुं छे. तेमां पण आचार्यना गुणोनी छत्रीशी- ज वर्णन छे. उपरांत तेमां कुंकुमनी गहुंली रचीने ते ऊपर अक्षत पाथरीने ते ऊपर श्रीफल मूकवारूप गहुंली-रचनानुं पण वर्णन थयुं छे, जे ध्यानार्ह छे. __पांचमी रचना 'गौतम भास' नामे, गौतमस्वामीनी गहंली छे. आमां पण त्रीजी कडीमां कंकुनो साथीओ करी, ते पर अक्षत पूरी गहुँली काढवानी प्रथानो निर्देश छे. क्यांय साथीआ साथे सिद्धशिला आलेखवानो निर्देश नथी ते खास नोंधपात्र जणाय छे. २-३-४-५ ए चारे रचनाओमां, छेल्ली कडीमां 'जिनशासन' शब्द अचूक आवे छे, ते ऊपरथी ते चारे एक ज कर्तानी रचना होवानुं अनुमान थाय छे. आ रचनाओ पण १९मा शतकनी होवानुं लाग्युं छे.Page Navigation
1 2 3 4 5 6 7 8 9 10 11 12