Book Title: Karakmala Author(s): Shubhankarvijay, Suryodayvijay Publisher: Lakshmichand Kunvarji Nagda View full book textPage 5
________________ संपादकीय आ " कारकमाला " जे पंडितश्री अमचन्द्र ( सूरि) विरचित 'कारकविवरण', महोपाध्याय पशुपति कृत 'कारकपरीक्षा' तथा कलिकालसर्वज्ञ श्री हेमचन्द्राचार्य रचित व्याश्रयमहाकाव्यना ‘कारकाधिकार' आदिना संग्रहरूप छे । आ त्रणे प्रकरणग्रन्थो पर प. पू. समर्थ व्याख्यानकार कविरत्न पन्यासप्रवरश्री यशोभद्रविजयजी गणिवरश्रीना शिष्यरत्न समर्थ विद्वान् प. पू. पन्यासश्री शुभंकर विजयजी गणिवरश्री कृत " भद्रकरोदया" व्याख्याओ छे ! आ ग्रन्थनुं संपादन कार्य प. पू. गुरुमहाराजे मने सोप्यु हतुं, त्यारे विषमस्थलो पर टिप्पणी लखवानु मन थतां, यत् किंचित शक्त्यनुसार पाठांतर साथे 'प्रभा' नामे टिप्पणी रची मुकेल छ । जे अभ्यासी जिज्ञासुओने मार्गदर्शक बनशे । __ आ ग्रन्थना संपादन माटे ‘कारकविवरण' मूली त्रण प्रतिओ प. पू. आगम प्रभाकर मुनिराज श्री पुण्यविजयजी महाराज साहेब तरफथी मलेल छे । 'कारकपरीक्षा' नी प्रेसकोपी प. पू. परमोपकारी प्राकृतविद्विशारदाचार्य विजयश्री कस्तूरसूरीश्वरजी महा. राज साहेब तरफथी उपलब्ध थयेल छे । आ प्रेसकोपी 'षष्ठी कारक परीक्षा पर्यन्त हती। एटले अमदावाद प. पू. मुनिश्री पुण्य. विजयजी महाराजने जणाव्यु । तेओ श्री मारी विनंतिने ध्यानमा लई, तत्काल प्रथम पत्र सिवाय संपूर्ण कारक परीक्षा'नी हस्तलिखित प्रति मोकली आपी हती ने आज प्रतिमां कर्ता तरीके महोपाध्याय पशुपतिना नामनो उल्लेख छ ।Page Navigation
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