________________
:: २५१ :: मेजयुशनमा:: रेंन्सने इस पुस्तकको पाठ्यक्रममें मान्य करनेके रेन्ससे यह अपेक्षा अवश्य रखते है कि इस प्रकार पहले सोच लिया होता कि वास्तवमें हमारे के साहित्यको कदापि अपने अभ्यासक्रममें वह सिद्धान्त क्या है ? तो आज यह अवसर न स्थान न दें। साथ ही इस पुस्तकको अपने आता। उसके अंदर अनुदित किये गये प्रकरणों अभ्यासक्रममें से निकाल कर समाजके से स्पष्टतः विदित हो जाता है कि टीका, भाष्य दिल में घर करनेवाली असदभावनाओं से भी आदिका सहारा लिये बिना मूल आगमों पर से बच जाय! ही केवल कलम चलाइ जाती है या चलाइ गइ उपक्त पस्तकके सम्बन्धमें हमारे पास हैं तो इसका क्या परिणाम हुआ हैं ? और कई प्रश्न आ चुके हैं और उन्हीं प्रश्नांने हमको उनको देखकर लिखा जाता तो सही स्थितिका
इतना लिखनेको बाध्य किया है। यदि हमारी ज्ञान नही रहता।
उच्च प्रतिष्ठित संस्थाने हमारे इस अत्यल्प ___ इस के अतिरिक्त इस पुस्तकमें पृष्ट ७६,७८ संकेत की और ध्यान देकर योग्य कर दिया तो ८४ आदिके अन्य प्रकरणों में भी यत्र तत्र यथेष्ट बह निश्चित है इस प्रकार भगवानके सिद्धान्तो अनुदित करनेका साहस किया गया हैं, वह से विपरीत प्रचार, और सिद्धान्त हनन के महान सर्वथा अनुचित है। इस बातके लिये हम दीघे- पातक से बच जायेंगे। इसके लिये जो भी दृष्टि से सोचते है तो हमारे शास्त्रीय अर्थाका
समाधान हमारे वे कर्णधार करना चाहें संतोकितना भारी अनर्थ कर दीया है, जिसको षप्रद ढंग से इसी पत्र के द्वारा करें. इस प्रकार हमारे कर्णधारोंने बिना सोचे ही कैसे मान्य की अज्ञताको दूर करनेके लिये बहुत प्रयास कर लिया यह बडे ही आश्चर्य की बात है. किये जा चुके है, अतः इस विषयमें हम अधिक
हम विशेष लिखकर समयको व्यर्थ नष्ट नहीं कहते। फिर भी यदि उचित समझा गया करना उचित नही समझते ॥ परंतु जैन कोन्फ- तो हम आगे के अंकोंमें इसका स्पष्टीकरण करेंगे।
‘કલ્યા ણ મા સિક ની ફાઈલ કલ્યાણને આજે ચાર વર્ષ પૂરાં થયાં છે. તેમાં પહેલા ત્રણ વર્ષની ફાઇલ મળતી નથી. બાકીના વર્ષની ફાઈલો પણ જુજ છે. પાછળથી વધુ કિંમત ખર્ચતાં પણ મળવી મુશ્કેલ છે,
मायामि था-वार्तामा, श-समाधान, ज्ञान-शायरी, भा , १३di વહેણો, સમયનાં ક્ષીર-તીર વગેરે વિભાગોથી સમૃદ્ધ અવનવું સાહિત્ય પીરસવામાં આવ્યું છે હાથમાં લીધા પછી નીચે મૂકવાનું મન નહિ થાય. દરેક બાઈન્ડીંગ કરેલી ફાઈલના રૂા. પાંચ. પટેજ અલગ. જે ફાઈલ હશે તેજ રવાના થશે
स्याए प्रशन माहिर-lanel. (सौराष्ट्र) સેના-ચાંદીના વરખ ખરીદવાનું
વિશ્વાસપાત્ર એકજ સ્થળ એ. વરખ વાળા એન્ડ સન્સ ' , સોના-ચાંદીના વરખ બનાવનાર તથા બાદલા અને કેસરના વહેપારી ૧ ૩૦૪૪, હંસરાજ પ્રાગજી હેલ પાસે, પાનકેરનાકા અમદાવાદ–૧