Book Title: Kailas Shrutasagar Granthsuchi Vol 3
Author(s): Mahavir Jain Aradhana Kendra Koba
Publisher: Mahavir Jain Aradhana Kendra Koba
View full book text
________________
Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra
www.kobatith.org
Acharya Shri Kailassagarsur Gyanmandir
हस्तलिखित जैन साहित्य १.१.३
|| श्री महावीराय नमः || || श्री बुद्धि-कीर्ति-कैलास-सुबोध-कल्याण-पद्मसागरसूरि सद्गुरुभ्यो नमः ।।
कैलास श्रुतसागर ग्रंथ सूची
हस्तलिखित जैन साहित्य १.१.३
९३१६. निरियावलियादिपञ्चोपाङ्गसूत्र सह टबार्थ, संपूर्ण, वि. १८३१, श्रेष्ठ, पृ. ६८, पे. ५, जैदेना., ले.स्थल. नवानगर,
गच्छा.- आ. माणेकचन्द(लुङ्कागच्छ), ले.- ऋ. मधु, प्र.ले.पु. विस्तृत, प्र.ले.श्लो. (१४१) यादशं पुस्तकं कृत्वा,
(२६४१२, ६x४३-४५). पे.-१.पे. नाम. कल्पिकासूत्र सह (मा.गु.)टबार्थ, पृ. १आ-२७आ
कल्पिकासूत्र, प्रा., गद्य, आदिः तेणं कालेणं तेणं; अंतिः मायातो सरिसणामाओ. कल्पिकासूत्र-टबार्थ, मागु., गद्य, आदिः तेणि कालि तेणि; अंतिः पूर्वपाठनो कहवो., पे.वि. मूल-अध्याय-१०
अध्ययन. पे..२.पे. नाम. कल्पावतंसिकासूत्र सह (मा.गु.)टबार्थ, पृ. २७आ-३०अ
कल्पावतंसिकासूत्र, प्रा., गद्य, आदिः जइ णं भन्ते समणेणं०; अंति: महाविदेहे सिद्धे. कल्पावतंसिकासूत्र-टबार्थ, मागु., गद्य, आदि: जौ हे भगवन्त समण०; अंतिः महाविदेहइ सीझस्यइ., पे.वि. मूल
अध्याय-१० अध्ययन. पे..३. पे. नाम. पुष्पिकासूत्र सह (मा.गु.)टबार्थ, पृ. ३०अ-५६अ
पुष्पिकासूत्र, प्रा., गद्य, आदि: जति णं भंते समणेणं०; अंतिः चेइयाइं जहा संगहणीए.
पुष्पिकासूत्र-टबार्थ, मागु., गद्य, आदि: जौ हे पूज्य; अंति: गाथामाहे छे तिम., पे.वि. मूल-अध्याय-१० अध्ययन. पे.४. पे. नाम. पुष्पचूलिकासूत्र सह (मा.गु.)टबार्थ, पृ. ५६अ-५९अ
पुष्पचूलिकासूत्र, प्रा., गद्य, आदिः जइ णं भंते समणेणं०; अंतिः वासे सिज्झिहिंति. पुष्पचूलिकासूत्र-टबार्थ, मागु., गद्य, आदिः जउ हे पूज्य श्रमण; अंतिः सर्व पाछली परे कहेवो., पे.वि. मूल-अध्याय
१० अध्ययन. पे.५. पे. नाम. वृष्णिदशासूत्र सह (मा.गु.)टबार्थ, पृ. ५९अ-६८अ
वृष्णिदशासूत्र, प्रा., गद्य, आदिः जइ णं भंते० पंचमस्स; अंतिः मइरित्त एक्कारससु वि.
वृष्णिदशासूत्र-टबार्थ, मागु., गद्य, आदिः जो हे पूज्य श्रमण; अंतिः बारइ उदेसा., पे.वि. मूल-अध्याय-१२ अध्ययन. ९३१७. जम्बूद्विपप्रज्ञप्ति सह कठिनपदटिप्पण, संपूर्ण, वि. १६९५, श्रेष्ठ, पृ. १११, जैदेना., ले.स्थल. घनोघपुर, प्र.वि. मूल-७
वक्षस्कार; प्र.पु.-मूल-ग्रं. ४१५४., टिप्पण युक्त विशेष पाठ, (२७४१२, १३४४२-४६). जम्बूद्वीपप्रज्ञप्ति, प्रा., गद्य, (संपूर्ण), आदिः नमो अरिहंताणं० तेणं; अंतिः उवदंसेइ त्ति बेमि.
जम्बूद्वीपप्रज्ञप्ति-कठिनपदटिप्पण, मागु., गद्य, (पूर्ण), आदि:-; अंति:९३१८. नलदवदन्ती रास, संपूर्ण, वि. १९वी, श्रेष्ठ, पृ. ३१, जैदेना., प्र.वि. अध्याय-६ खंड; प्र.पु.-मूल-खंज-६ ढाल-३९, ९४१,,
ग्रं. १३५७, (२६४११.५, १५४४५-४८). नलदमयन्ती रास, उपा. समयसुन्दर गणि, मागु., पद्य, वि. १६७३, आदि: सीमन्धरस्वामी प्रमुख; अंतिः चतुर माणस
चित्त वसी. ९३२३. जीवविचार सह टबार्थ, संपूर्ण, वि. १८३७, श्रेष्ठ, पृ. ८, जैदेना., ले.स्थल. प्रल्हादनपुर, ले.- ऋ. वर्द्धमान (गुरु गणि
For Private And Personal Use Only

Page Navigation
1 ... 16 17 18 19 20 21 22 23 24 25 26 27 28 29 30 31 32 33 34 35 36 37 38 39 40 41 42 43 44 45 46 47 48 49 50 51 52 53 54 55 56 57 58 59 60 61 62 63 64 65 66 67 68 69 70 71 72 73 74 75 76 77 78 79 80 81 82 83 84 85 86 87 88 89 90 91 92 93 94 95 96 97 98 99 100 101 102 103 104 105 106 107 108 109 110 111 112 113 114 115 116 117 118 119 120 121 122 123 124 125 126 127 128 129 130 131 132 133 134 135 136 137 138 139 140 141 142 143 144 145 146 147 148 149 150 151 152 153 154 155 156 157 158 159 160 161 162 163 164 165 166 167 168 169 170 171 172 173 174 175 176 177 178 179 180 181 182 ... 608