Book Title: Kailas Shrutasagar Granthsuchi Vol 11
Author(s): Mahavir Jain Aradhana Kendra Koba
Publisher: Mahavir Jain Aradhana Kendra Koba

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Page 13
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir अनुक्रमणिका मंगलकामना.. समर्पण प्रकाशकीय .............................iii प्राक्क थन .................................................................................... .....................iv .....vi-vii अनुक्रमणिका. ...................V प्रस्तुत सूची में प्रयुक्त संक्षेप व संकेत हस्तप्रत सूचीकरण सहयोग सौजन्य......... ................ viii हस्तप्रत सूची. .........१-४७२ परिशिष्ट : कृति परिवार अनुसार प्रत-पेटाकृति अनुक्रम संख्या........................ ४७३-५९६ १. संस्कृत, प्राकृत व अपभ्रंश भाषाओं की मूल कृति के अकारादि क्रम से प्रत-पेटाकृति क्रमांक सूची परिशिष्ट - १........... ....४७३-५०३ २. देशी भाषाओं की मूल कृति के अकारादि क्रम से प्रत-पेटाकृति क्रमांक सूची परिशिष्ट - २.... ५०४-५९६ इस सूचीपत्र में हस्तप्रत, कृति व विद्वान/व्यक्ति संबंधी जितनी भी सूचनाएँ समाविष्ट की गई हैं, उन सबका विस्तृत विवरण व टाइप सेटिंग संबंधी सूचनाएँ भाग ७ के पृष्ठ vi एवं परिशिष्ट परिचय संबंधी सूचनाएँ भाग ७ के पृष्ठ ४५४ पर है. कृपया वहाँ पर देख लें. प्रस्तुत खंड ११ में निम्नलिखित संख्या में सूचनाओं का संग्रह है. ० प्रत क्रमांक - ४३४६१ से ४८१३५ ० इस सूचीपत्र में मात्र जैन कृतियों वाली प्रतों का ही समावेश किए जाने के कारण वास्तविक रूप से ३५१२ प्रतों की सूचनाओं का समावेश इस खंड में हुआ है. ० समाविष्ट प्रतों में कुल ४२५७ कृति परिवारों का समावेश हुआ है. ० इन परिवारों की कुल ४५३९ कृतियों का इस सूची में समावेश हुआ है. ० सूची में उपरोक्त कृतियों कुल ६५३९ बार आई हैं. For Private and Personal Use Only

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