Book Title: Jyoti Jale Mukti Mile
Author(s): Tulsi Acharya
Publisher: Jain Vishva Bharati

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Page 10
________________ प्रतिबोध दिया। कभी संवादशैली में और कभी प्रवचनशैली में। उनसे लाखों-लाखों लोगों ने प्रेरणा तथा पाथेय पाया। उनके प्रवचनों के संकलन - संपादन में मुनि धर्मरुचिजी वर्षों से गहरी निष्ठा और अहोभाव के साथ संलग्न हैं। आचार्य तुलसी के कीर्तिधर उत्तराधिकारी आचार्य महाप्रज्ञ के कुशल दिशा-निर्देशन में वे पुरानी फाइलों, पत्र-पत्रिकाओं और कैसेटों से एक-एक प्रवचन सहेज-संवारकर साहित्य की सेवा कर रहे हैं । मुनिश्री प्रवचन का मूल पाठ तो संपादित करते ही हैं, उसके साथ कुछ परिशिष्ट जोड़कर मूल ग्रंथ की उपयोगिता भी बढ़ा देते हैं। 'ज्योति जले : मुक्ति मिले' पुस्तक प्रवचन पाथेय ग्रंथमाला का बीसवां पुष्प है। इसमें सन १९५९ में दिए गए प्रवचनों का संकलन है। सरस शैली, उपयोगी सामग्री और संप्रेषणीयता की शक्ति से भरी प्रस्तुत पुस्तक ग्रंथमाला के अन्य पुष्पों की तरह स्वाध्याय- पुस्तक के रूप में प्रयुक्त होती रहेगी, यह असंदिग्ध है। विनोद भवन मोमासर १५ नवंबर १९९८ Jain Education International आठ साध्वीप्रमुखा कनकप्रभा For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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