Book Title: Jinendra Siddhant Manishi
Author(s): 
Publisher: ZZZ Unknown

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Page 16
________________ । १८ ) है जो बिल्कुल स्वाभाविक है । छ . डॉ० कामता प्रसाद शाच चाक कीर गाय कशीजिम क Funt (३) यह वास्तव में सुखद आश्चर्य की बात है कि जो कार्य अनेक विद्वान वर्षों तक लगकर सम्पन्न कर पाते उसे ( जैनेन्द्र सिद्धान्त कोश को ) एक ही साधक ने ७ वर्षों की अनवरत् तन्मयता के फलस्वरूप अकेले सम्पन्न किया है। भारतीय संस्कृति और साहित्य, विशेषकर जैन-सिद्धान्त, धर्म, दर्शन और संस्कृति के प्रत्येक अध्येता, प्रेमी एवं प्रशंसक व्यक्ति के लिये यह एक विशेष कृतज्ञता का विषय है कि श्रद्धय क्षुल्लक जिनेन्द्र वर्णी ने ऐसी बहुमूल्य और अद्भुत निधि उन्हें प्रदान की। TR TET का1ि55 FPा शमा Pा छ की जानी भारतीय ज्ञानपीठ शिमगा कि कि कंकणकार ४५-४७ कनॉट प्लेस, नई देहली १ . कि किणी FIFE -की गार। को (४) परमात्मस्वरूप प्रिय वर्णीजी के प्रति : आपने 'जैनेन्द्र-सिद्धान्त-कोश' लिखने का जो महान परिश्रम किया है उसके लिये आपको हार्दिक धन्यवाद है । यह जो उपकार जैन-समाज के ऊपर आपने किया है इससे आपने अपना नाम तथा यश अजरामर किया है। ऐसा महान पवित्र कार्य जिसने किया है, ऐसे 'महात्माओं को प्रत्यक्ष मिलकर उनका सत्कार करने की मेरी तथा सब पाश्रमवासियों की भावना और इच्छा है।' आपको दीर्घायु एवं आरोग्य की कामना करते हुए 'आपके द्वारा भविष्य में जिन वाणी की अखण्ड सेवा होती रहे' यही परमात्मा से प्रार्थना है । 1515 hrsी जोर पूज्य प्रवर १०८ प्रा० समन्तभद्रजी म किन एक बाहुबलो कुम्भोज का IPE - फिकि शिगाजी की ।

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