Book Title: Jinduttasuri ka Jain Dharma evam Sahitya me Yogdan Author(s): Smitpragnashreeji Publisher: Vichakshan Prakashan TrustPage 13
________________ स्वच्छ और त्वरित मुद्रण कार्य संपन्न करने के लिए रमणीय ग्राफीक्सवाले मयंक शाह को भी धन्यवाद। अन्त में एकबार पुनः उन सभी महानुभावों के प्रति साधुवाद व्यक्त करती हूँ जो प्रत्यक्ष या परोक्षरूप से सहयोगी रहे है। प्रस्तुत शोधग्रंथ में कोई त्रुटि रही हो तो उसके लिए मिच्छामी दुक्कडम् । -साध्वी स्मितप्रज्ञाश्री XII Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.orgPage Navigation
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