Book Title: Jinandji Bhav Jal Par Utar
Author(s): Padmaratnasagar
Publisher: Mahavir Jain Aradhana Kendra Koba
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प्रभु दर्शन समये बोलवाना दुहा तथा स्तुतीओ
प्रभु दरिशन सुख संपदा, प्रभु दरिशन नव - निध. प्रभु दरिशनथी पामीए, सकल पदारथ सिद्ध ..
भावे जिनवर पूजीए, भावे दीजे दान. भावे भावना भावीए, भावे केवल - ज्ञान. जीवडा! जिनवर पूजीए, पूजानां फल होय. राजा न प्रजा नमे, आण न लोपे कोय. फूलडां केरा बागमां, बेठा श्री जिनराय. जेम तारामां चन्द्रमा, तेम शोभे महाराय. त्रि-भुवन नायक तुं धणी, मही मोटो महाराज. मोटे पुण्ये पामीयो, तुम दरिशन हुं आज.
आज मनोरथ सवि फल्या, प्रगट्या पुण्य कल्लोल. पाप करम दूरे टल्यां, नाठां दुःख दंदोल..
पंचम काले पामवो, दुलहो प्रभु देदार. तो पण तेना नामनो, छे मोटो आधार.
प्रभु नामनी औषधि, खरा भावथी खाय . रोग शोक आवे नहीं, सवि संकट मिट जाय.
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