Book Title: Jinandji Bhav Jal Par Utar
Author(s): Padmaratnasagar
Publisher: Mahavir Jain Aradhana Kendra Koba
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१७. चामरनृत्य करवू, पंखो ढाळवो. १८. भगवानने अरीसो धरवो. १९. अक्षतपूजा, नैवेद्यपूजा अने फळपूजा करवी. २०. नादपूजा रूपे घंटनाद करवो. २१. यथास्थाने अवस्थात्रिक भाववी. २२. त्रीजी निसीहि बोली, त्रण वार भूमिप्रमार्जन करी
चैत्यवंदन कर. २३. दिशात्याग, आलंबन मुद्रा, अने प्रणिधान त्रिकनुं पालन
करवं. २४. विदाय थतां स्तुतिओ बोलवी. २५. पूजानां उपकरणो यथास्थाने मूकी देवां. २६. पूंठ न पडे ते रीते बहार नीकळवू. २७. ओटले बेसी ३ नवकार- स्मरण करी भक्तिभावोने स्थिर
करवा. २८. परमात्माना वियोगथी दुःखाता हृदये गृह तरफ विदाय
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