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उनका यह कहना ठीक नहीं है। क्योंकि हम मनुष्यों की नरकगति का प्रसंग आ जायेगा। जैसे नित्यनिगोदिया • के उदयावली में चारों गति का उदय रहता है, परन्तु | जीवों के भी त्रसकर्म की सत्ता विद्यमान रहती है,
मनुष्य गति के अलावा अन्य तीन गति नामकर्म की| इसलिए उनकी भी त्रसों में उत्पत्ति होने लगेगी।' प्रकृतियाँ संक्रमित होकर मनुष्यगति रूप उदय में आती अत: जिस आयु का उदय होता है, उसी के हैं। जहाँ तक नरक गति के सत्त्व का प्रश्न है. श्री अनुसार पर्याय मिलती है, ऐसा मानना ही आगमसम्मत धवला पु.१, पृष्ठ-३२४ पर इसप्रकार कहा गया है- | है। 'नरक गति का सत्त्व भी (सम्यग्दृष्टि के) नरक में
1/205, प्रोफेसर्स कॉलोनी, उत्पत्ति का कारण कहना ठीक नहीं है, क्योंकि नरकगति
आगरा (उ.प्र.) के सत्त्व के प्रति कोई विशेषता न होने से सभी पन्चेन्द्रियों
बच्चे के जन्म दिन पर सेवायतन को सहयोग आन्ध्रप्रदेश श्री सेवायतन समन्वय समिति हैदराबाद के प्रमुख श्री सुनील पहाड़े ने बताया कि कुमार अनन्त जैन सुपुत्र श्री सुजीत जैन छाबड़ा एवं अंजू छाबड़ा के जन्म दिन पर पारसनाथ क्षेत्र में ग्राम उत्थान के लिए कार्यरत श्रीसेवायतन संस्थान को 5100/- रूपयों सहयोग-स्वरूप दिये हैं। आन्ध्रप्रदेश श्री सेवायतन समन्वय समिति द्वारा यह निर्णय लिया गया है कि मांगलिक अवसरों पर फिजूल खर्च न कर अपने पावन तीर्थ श्री सम्मेद शिखर जी क्षेत्र के 14 ग्रामों के ग्रामीणों के दुख-दर्द को दूर करने के लिये हमें यथासंभव सहयोग करना चाहिए। यह उल्लेखनीय है कि सेवाभावी एवं उच्च विचारों से सुसंस्कृत मनीपुर जैनपरिवार फर्म शिवकरण केशरीमल के श्री धन कुमार जी जैन छाबड़ा श्रीसेवायतन संस्थान के परम संरक्षक बनकर सेवा कार्यों को आगे बढ़ा रहे हैं। श्री सुजीत जैन छाबड़ा सम्प्रति श्री धन कुमार जी के सुपुत्र हैं।
विमल सेठी श्री आर० के० दिवाकर भोपाल सेवायतन से जडे श्री सेवायतन संस्थान, मुधबन पारसनाथ द्वारा चलाये जा रहे कतिपय ग्रामीण विकास एवं मानवसेवा के कार्यों को स्वयं ग्रामों में जाकर उन्हें देखकर उपजे सेवाभाव से प्रभावित होकर श्री दिवाकर, जो मध्यप्रदेश सरकार में पुलिस महानिर्देशक के पद पर कार्यरत रहे हैं, वे 51000/- की राशि देकर श्री सेवायतन के आजीवन सदस्य बने हैं। उन्होंने अपने संबोधन में कहा कि इस पावन तीर्थ की रक्षा के लिए श्री सेवायतन मील का पत्थर साबित होगा। उन्होंने श्री अजमेरा से कदम से कदम मिलाकर इन पुनीत कार्यों में पूर्ण सहयोग का आश्वासन दिया। श्री अजमेरा ने उन्हें मध्यप्रदेश श्री सेवायतन समिति के प्रमुख के रूप में सेवायें देने एवं मध्यप्रदेश में श्री सेवायतन संगठन को और अधिक व्यापक बनाने के लिए अनुरोध किया। श्री दिवाकर एवं उनकी धर्मपत्नी ने कहा कि ऐसा कार्य हमने 50 वर्ष पहले प्रारंभ किया होता, तो यहाँ की छटा कुछ और ही होती। श्री दिवाकर एवं उनके साथ भोपाल से पधारे अनेक लोगों ने गया में मुनि श्री प्रमाणसागर जी के दर्शन किये तथा आशीर्वाद लिया एवं आचार्य विद्यासागर जी के आशीर्वाद एवं मुनि श्री प्रमाणसागर जी की प्रेरणा से स्थापित श्री सेवायतन संस्थान के प्रति विशेष आदर सर्मपित किया।
विमल सेठी प्रचार मंत्री श्रीसेवायतन मधुबन, पारसनाथ (गिरिडीह)
-नवम्बर 2008 जिनभाषित 23
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