Book Title: Jinabhashita 2004 11
Author(s): Ratanchand Jain
Publisher: Sarvoday Jain Vidyapith Agra

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Page 31
________________ अपने जीवन को उन्नत बनायेंगे। । दोषियों को दण्डित करवायें तथा गुजरात तीर्थ की पहाड़ी पर __ मैत्री समूह की ओर से आप सभी को हार्दिक बधाई और | स्थित दूसरी, तीसरी, चौथी एवं पाँचवी टोंक को हिन्दू पंडों के उज्जवल भविष्य के लिए ढेर सारी शभकामनाएँ । आतंक से मुक्त करवाकर जैन तीर्थयात्रियों लिए दर्शन, पूजन आदि सुरेश जैन, मारौरा की समुचित व्यवस्था करें। गिरनारतीर्थ क्षेत्र की पाँचवी टोंक पर __डॉ. सुरेन्द्र जैन, बुरहानपुर (म.प्र.) श्री अखिल भारतवर्षीय दिगम्बर जैन विद्वत्परिषद् के । श्रावकाचार संग्रह अनुशीलन संगोष्ठी सम्पन्न अध्यक्ष डॉ. फूलचन्द जैन 'प्रेमी' सहित अनेक तीर्थयात्रियों सूरत (गुजरात) यहाँ श्री चन्द्रप्रभ दि.जैन मंदिर, सूरत में पर, पंडों द्वारा किये गये प्राणघातक हमले की तीव्र निन्दा | वर्षायोग कर रहे परम पूज्य मुनि श्री सुधासागर जी महाराज, पूज्य दोषियों को शीघ्र गिरफ्तार करने की माँग क्ष. श्री गंभीरसागरजी महाराज एवं प.क्षल्लक श्री धैर्यसागर जी 22 वें तीर्थंकर भगवान श्री नेमिनाथ की निर्वाण स्थली | महाराज के सान्निध्य में श्री अखिल भारतवर्षीय दिगम्बर जैन गिरनार तीर्थक्षेत्र की पाँचवी टोंक पर दर्शनार्थ गये श्री अ.भा.दि. | विद्वत्परिषद् के तत्वावधान तथा डॉ. शेखरचन्द्र जैन (अहमदाबाद) जैन विद्वत्परिषद् के अध्यक्ष डॉ. फूलचन्द्र जैन प्रेमी (वाराणसी) | एवं डॉ. अशोक कुमार जैन (लाडनूं) के संयोजकत्व में तथा उनके साथ ही यात्रा कर रहे कर्नाटक, दिल्ली, राजस्थान एवं | श्रावकाचार-संग्रह अनुशीलन संगोष्ठी दि. 23 से 25 अक्टूबर मध्यप्रदेश आदि के यात्रियों (जिनमें महिलायें एवं बच्चे भी सम्मिलित 2004 तक सम्पन्न हुई। जिसमें 49 विद्वानों ने लगभग 200 थे) को दिनांक 28 अक्टूबर 2004 को कमण्डल कुण्ड के हिन्दु | विद्वानों एवं हजारों जनसमुदाय के मध्य श्रावकाचार के विविध साधुओं महन्तों द्वारा लाठियों, घूसों से मार-मार कर घायल कर | पक्षों पर आलेख वाचन किया एवं संबंधित चर्चा में भाग लिया। देने के दुष्कृत्य की श्री अ.भा.दि. जैन विद्वत्परिषद् तीव्र भर्त्सना | पठित आलेखों एवं उपस्थित शंकाओं पर परमपूज्य मुनिपुंगव श्री एवं निन्दा करती है। सम्पूर्ण जैन समाज इस घटना से अत्यन्त सुधासागर जी महाराज के विस्तृत समीक्षात्मक प्रवचन हुए जिनसे क्षुभित एवं दुःखी है। निहत्थे एवं अहिंसक तीर्थयात्रियों पर उक्त समाज एवं विद्वानों को सम्यक् दिशाबोध मिला। स्थानीय संयोजक तथाकथित साधु-महन्तों द्वारा किया गया हिंसक हमला जैन- श्री शैलेष भाई कापडिया (संपादक -- जैन मित्र) थे। अल्पसंख्यकों पर निरन्तर बढ़ रहे अन्याय का प्रतीक है। जिसे | संगोष्ठी का उद्घाटन श्री प्रेमकुमार शारदा (कुलपति -- तत्काल प्रभावी तरीके से रोका जाना चाहिए। यहाँ उल्लेखनीय है | वीर कवि नर्मदा विश्वविद्यालय, सूरत) की अध्यक्षता, श्री पच्चीगर कि गुजरात प्रान्त के जूनागढ़ जिले में स्थित इस प्रसिद्ध 'जैनतीर्थ' | जी (उपाध्यक्ष - सार्वजनिक शिक्षा संस्थान, सूरत), श्री रमेशचन्द एडवोकेट (अध्यक्ष -- बार कौंसिल. सरत) एवं श्री गौतम भाई साधुमहन्त अनेक वर्षों से जैन तीर्थयात्रियों के साथ अन्याय पूर्ण | पटेल (अहमदाबाद) के विशिष्ट आतिथ्य में सम्पन्न हुआ। संयोजन बर्ताव करते आ रहे हैं। जिनमें श्री नरेन्द्रमोदी नीत भाजपा सरकार | डॉ. शेखरचन्द जैन ने एवं आभार डॉ. अशोक कुमार जैन ने व्यक्त बनने तथा खुला राजकीय संरक्षण इन तत्वों को मिलने के बाद किया। इस सत्र में डॉ. सुरेन्द्रकुमार जैन (मंत्री - श्री अ.भा.दि.जैन और तेजी आया है । वहा स्थित जनप्रतीकों को विरूपित किया जा | विद्वत्वपरिषद, बुरहानपुर) ने श्रावकाचार संग्रह में दान, दाता, देय रहा है। भगवान नेमिनाथ के निर्वाण के प्रतीक चरण चिन्हों को का स्वरूप एवं फलाफल विचार तथा डॉ. अनेकांत जैन (दिल्ली) फूलों से ढंककर उनके जैनरीति से दर्शन, पूजन, वन्दन, अभिषेक | ने श्रावकाचार संग्रह में श्रावक का दैनिक धार्मिक एवं आवश्यक करने यहाँ तक कि भगवान नेमिनाथ की जय बोलने पर इन पंडों | स्वरूप विचार विषयक शोधलेखों का वाचन किया। ने घोषित रूप से अवैधानिक प्रतिबन्ध लगा रखा है। अब इन पंडों | संगोष्ठी में कुल 8 सत्र चले जिनमें डॉ. रतनचन्द्र जैन का हौसला इतना बढ़ गया है कि हजारों लोगों का प्रतिनिधित्व करने | (भोपाल) ने - सम्यग्दर्शन के दोषों का स्वरूप विवेचन एवं वाले जैन-नेताओं, मासूम महिलाओं और बच्चों को भी अपने आक्रोश | हानियाँ . पं. लालचन्द जैन राकेश (गंजबासौदा) ने - भोज्य . का शिकार बनाने से नहीं चूक रहे हैं। सम्पूर्ण जैन समाज चिन्तित है भोजक एवं भोजन विधि, डॉ. अनिल कुमार जैन (अहमदाबाद)ने तथा न्याय की माँग शासन/प्रशासन से कर रही है। - ब्रह्मचर्याणुव्रत का राष्ट्रीय, सामाजिक एवं पर्यावरणीय महत्व, उक्त घटना की रिपोर्ट दिनांक 28 अक्टूबर 2004 को | डॉ. आराधना जैन (गंजबासौदा) ने - मिथ्यात्व एवं षडायतन 1930 बजे जूनागढ़ तालुका पुलिस थाना में आई.पी.सी. की धारा डॉ. शीतलचन्द जैन (जयपुर) ने सामायिक, प्रतिक्रमण स्वरूप, 323/504/506 (2), 114 बी.पी.ए. 135 के तहत डॉ. फूलचन्द्र | विधि एवं महत्व, डॉ. सनतकुमार जैन (जयपुर) ने - पंच इंद्रियों जैन प्रेमी (वाराणसी) ने दर्ज करवायी है। के विषय सेवन एवं श्रावक की भूमिका, डॉ. कुलभूषण लोखंडे श्री अखिल भारत वर्षीय दिगम्बर जैन विद्वतपरिषद् भारत | (सोलापूर) ने - वर्तमान युग में बढ़ता हुआ शिथिलाचार।। सरकार के प्रधानमंत्री श्री मनमोहन सिंह एवं गुजरात के मुख्यमंत्री कारण एवं समाधान, डॉ. ज्योति जैन (खतौली) ने श्री नरेन्द्र मोदी से माँग करती है कि वह प्रभावी कार्यवाही कर नवम्बर 2004 जिनभाषित 29 Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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