Book Title: Jinabhashita 2004 11
Author(s): Ratanchand Jain
Publisher: Sarvoday Jain Vidyapith Agra

View full book text
Previous | Next

Page 32
________________ करूणादान एवं कन्यादान का स्वरूप तथा वर्तमान स्थिति, डॉ. कुमार जैन (लाडनूं) ने दार्शनिक मीमांसा विषयक महत्वपूर्ण नेमिचन्द्र जैन (खुरई)ने आप्त (देव) का स्वरूप एवं त्रिकालदर्शन, | शोधालेखों का वाचन श्रावकाचार संग्रह (पाँच भाग) के संदर्भ में वन्दन विधि, श्रीमती निर्मला संघी (जयपुर) ने षद्रव्य, सप्त किया। तत्व एवं नव पदार्थ विवेचन, डॉ.बी.एल.सेठी (झुंझनूं)ने कर्मबंध | संगोष्ठी के पुण्यार्जक एवं कारण विवेचना, श्रीमती क्रांति जैन (लाडनूं) ने - अतिचार, 1. श्री चिरंजीलाल इन्दरचन्द जैन,सुरेश कुमार, राहुल अन्तराय एवं प्रायश्चित स्वरूप मीमांसा, डॉ. विमला जैन कुमार छावड़ा (सीकर वाले) सूरत . (फिरोजाबाद) ने चतुर्गति स्वरूप भ्रमण कारण एवं निवारण, श्रीमती 2. श्रीमती शकुन्तलादेवी, पदमचन्द जैन, राजीव भाई, मुन्नीपुष्पा जैन (वाराणसी) ने श्रावकाचार संग्रह के संपादक | संजय भाई (हाथरस वाले) सूरत थे। पं.हीरालाल जैन का व्यक्तित्व एवं कृतित्व, श्री गौतम भाई पटेल संगोष्ठी की सफलता में पुण्यार्जकों के अतिरिक्त वर्षायोग (अहमदाबाद)ने भारतीय संस्कृति, पं. मूलचन्द लुहाड़िया | समिति के अध्यक्ष श्री ओमप्रकाश जैन, महामंत्री श्री कमलेश (मदनगंज-किशनगढ़) ने - अष्टमूलगुण एवं वर्तमान परिवेश, | गाँधी एवं सर्व श्री रमेश गंगवाल, रमेश भाई शाह, अशोक कुमार डॉ.रमेशचन्द्र जैन (बिजनौर) ने -कुन्दकुन्द श्रावकाचार का | विनायका, नरेशचन्द जैन, प्रकाश संघही, अरविन्द भाई गाँधी, समीक्षात्मक अनुशीलन, डॉ. कमलेश कुमार जैन (वाराणसी) ने | महेन्द्रशाह, मनोहर जैन, प्रदीप शाह, राजीव सेठ, पवन पाटनी रत्नकरण्ड श्रावकाचार का समीक्षात्मक अनुशीलन, डॉ. राजहंस | आदि का महनीय योगदान रहा। गुप्ता (बिजनौर ने) A Contempoarary View of the Human संगोष्ठी के मध्य विद्वानों द्वारा प्रस्तुत 11 महत्वपूर्ण शोध Aspect As Debicted in Srawakachara Sangrah , डॉ. प्रबंधों के प्रकाशन का भार सूरत-समाज ने वहन करना स्वीकार शिवसागर त्रिपाठी (जयपुर)ने गृहस्थ की दैनिक चर्या एवं वैदिक किया। इस अवसर पर विद्वानों को संगोष्ठी किट, प्रशस्तिपत्र, दर्शन में वर्णित गृहस्थचर्या का तुलनात्मक अध्ययन, डॉ. जयकुमार | स्मृतिभेंट, मानदेय एवं अध्यात्म अमृतकलश(टीकाकार - जैन (मुजफ्फरनगर) ने व्रतों की तात्विक पृष्ठभूमि, डॉ. नरेन्द्र पं.जगन्मोहन लाल जैन), गणेशवर्णी चित्रकथा, श्रावक धर्म (लेखक कुमार जैन (सनावद) ने जैन पर्व, पं. राकेश जैन (सांगानेर)ने | - डॉ. दीपक जैन), संस्कृति प्रहरी मुनि श्री सुधासागर (रचयिता मंदिरे न करणीयाः चतुरशीत्यासादन दोषाः, डॉ. राका जैन (लखनऊ) | - पं. लालचन्द जैन राकेश) मुनि श्री सुधासागर व्यक्तित्व और ने जैन श्रावकाचार (आदिपुराण, तिरूक्कुरल आदि के संदर्भ में), | सृजन (लेखक - डॉ. दीपक जैन), हरिवंश पुराण परिशीलन पं.विनोद कुमार जैन (रजबांस)ने श्रावकाचार और भारतीय | (सम्पादक - प्रा. अरूणकुमार जैन एवं डॉ. सुरेन्द्र जैन भारती), न (सागर)ने श्रावकाचार का पाश्चातय जैन दर्शन में कर्मवाद (ले.डॉ.शेखरचन्द जैन), आचार्य कवि दर्शन पर प्रभाव, ब्र.भरत जैन (जयपुर) ने प्राकृत वाङ्मय में | विद्यासागर का काव्य वैभव (ले.डॉ. शेखरचन्द जैन), विद्वद् श्रावकाचार डॉ. विद्यावती जैन (गनौड़ा)ने तिरेपन क्रियाओं का | विमर्श, पार्श्व ज्योति (मासिक) आदि कृतियाँ भेंट स्वरूप प्रदान स्वरूप एवं उनका मनोवैज्ञानिक अध्ययन, डॉ.अभयप्रकाश जैन | की गयीं। (ग्वालियर) ने स्वर, स्व एवं ज्योतिष व्यवस्था, श्री दिनेशकुमार | श्री अखिल भारतवर्षीय दिगम्बर जैन विद्वत्परिषद का जैन (जयपुर) ने ध्यान एवं योग, डॉ. विजय कुमार जैन (लखनऊ) | 25 वाँ अधिवेशन सम्पन्न जैन समाज में शास्त्री परिषद् ने जिनबिम्ब, जिनालय के निर्माण का फलाफल विचार, डॉ. एवं विद्वत्परिषद् ही मान्य कस्तूरचन्द जैन सुमन (महावीरजी) ने कथा एवं उपकथायें, प्रा.अरूण सूरत (गुजरात) परमपूज्य संत शिरोमणि आचार्य श्री कुमार जैन (ब्यावर) ने व्याकरण एवं छन्द वैशिष्ट्य, डॉ. संतोषकुमार विद्यासागर जी महाराज के सुयोग्य शिष्य परम जिनधर्मप्रभावक, जैन (सीकर) ने धर्मशाला, वसतिका, औषधालय आदि षड् आध्यात्मिक संत, तीर्थ जीर्णोद्धारक मुनिपुंगव श्री सुधासागर जी आयतनों का विमर्श, डॉ. फूलचन्द जैन प्रेमी (वाराणसी)ने जैन महाराज, पूज्य क्षु. श्री गंभीरसागर जी महाराज, पूज्य क्षु. श्री धैर्यसागर जीवन शैली, पं. अभय कुमार जैन (बीना) ने सम्यग्दर्शन का | जी महाराज के सान्निध्य, ब्र. संजय भैया, ब्र. जिनेश भैया स्वरूप एवं महिमा, पं.निहालचन्द जैन(बीना)ने रात्रि भोजन निषेध, (जबलपुर) ब्र. अजित जैन, ब्र. सुकान्त जैन सहित द्विशताधिक वैज्ञानिक तथा आरोग्यपरक विश्लेषण, डॉ. श्रेयांसकुमार जैन | विद्वानों की उपस्थिति तथा प्रो. डॉ. फलचंद जैन 'प्रेमी' की (बड़ौत)ने अष्टाङ्ग का स्वरूप विमर्श, डॉ. श्रीरंजनसूरिदेव (पटना) | अध्यक्षता में दि. २५ एवं २६ अक्टूबर २००४ को श्री चन्द्रप्रभु ने श्रावक का आचार एवं मनुस्मृति में गृहस्थ का तुलनात्मक दि. जैन मंदिर पारले पोईन्ट, सूरत स्थित विद्यापुरम् (रतनबाग) में अनुशीलन, डॉ. शुभचन्द जैन (मैसूर)ने Shrawakacara Works हजारों सामाजिकों के मध्य श्री अखिल भारतवर्षीय दिगम्बर जैन in Kannada , श्री इब्राहिम कुरैशी (भोपाल) ने जैन संस्कृति की विद्वत्परिषद् का २५ वाँ अधिवेशन महती प्रभावना पूर्वक सम्पन्न विशेषताएँ, डॉ. शेखरचन्द जैन (अहमदाबाद) ने दीक्षान्वय क्रियाएँ हुआ। अधिवशेन में समागत विद्वानों का परमपूज्य मुनिपुंगव श्री एवं ब्राह्मण तथा द्विजों का सांस्कृतिक अध्ययन और डॉ. अशोक 30 नवम्बर 2004 जिनभाषित Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

Loading...

Page Navigation
1 ... 30 31 32 33 34 35 36