Book Title: Jinabhashita 2004 07
Author(s): Ratanchand Jain
Publisher: Sarvoday Jain Vidyapith Agra

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Page 26
________________ किटकैट चॉकलेट में कोमल बछड़ों का मांस चॉकलेट, टॉफी, च्युइंगम स्वास्थ्य के लिये हानिकारक हैं। बच्चों की सेहत पर गहरा असर डालती, लुभावनी लगती चाकलेट मांसाहारी भी है। किटकैट जैसी मँहगी चाकलेट में बछड़े का मांस भी मिलाया जाता है, आखिर क्यों? चॉकलेट, ब्रेड, बेबीफूड और बिस्किट का उपयोग आमतौर । 1340 माइक्रोग्राम निकल देखने में आता है, जबकि यह 160 पर किया जा रहा है। मगर बहुत कम लोग जानते हैं कि इनमें | माइक्रोग्राम से अधिक नहीं होना क्या मिलाया जाता है। किटकैट बिस्किट में बछड़े का मांस अमरीकी चॉकलेटों में अपेक्षाकृत कम निकल होती है। मिलाया जाता है। बिस्किट में अंडे मिलाए जाते हैं और बेबीफूड टाफियों में कृत्रिम रंगों के रूप में पोन सो, कार्मोसिन, फ्रास्ट रेड (बच्चों का आहार) तो बच्चों के लिए जानलेवा साबित हो रहा ई, अमारंध, ऐरी प्रीसीन, टाइड्राजीन, सनसेट यलो, इंडिगो है। ऐसे उत्पादों की सूचना और विज्ञापन पर इन्हें लिखना कारमीन, लिंट ब्लू, ग्रीन रस और फास्ट ग्रीन रंग मिलाए जाते कानूनन जरूरी नहीं है। हैं। इन 11 रंगों के अतिरिक्त रंगों का उपयोग गैर कानूनी माना चॉकलेट बच्चों की जान का दुश्मन बनी हुई है। लॉलीपॉप, | जाता है। इन रंगों की मात्रा भी एक किलो पदार्थ में 0.2 ग्राम से च्युईंगम, चॉकलेट खाने से बच्चों की सेहत गिरती है और वे कई | अधिक नहीं होनी चाहिए। यद्यपि विश्व स्वास्थ्य संगठन ने रोगों का शिकार हो सकते हैं। नेस्ले की किटकैट चॉकलेट में | अमारंध रंग को मान्य नहीं किया है, तथापि आज इसका उपयोग छोटे बछड़ों के शरीर से प्राप्त मांस (रेनेटस) मिलाया जाता है। ज्यादा हो रहा है। इसकी पुष्टि नेस्ले यू.के. लिमिटेड की न्यूट्रांशन ऑफीसर श्रीमती कनाडा, रूस और अमेरिका में किए गए विश्लेषण से ज्ञात वाल एंडरसन ने की है। अन्तर्राष्ट्रीय पत्रिका 'यंग जैन्स' में बाल | हुआ है कि अमारंध रंग सिर्फ कैंसर की उत्पत्ति ही नहीं, अपितु एंडरसन का ऐसा ही पत्र प्रकाशित किया है, जिन्होंने एक पत्र | गर्भस्थ शिशुओं में जन्मजात विकृति और न्यूनता उत्पन्न कर के जबाब में लिखा है किटकैट में कोमल बछडों का रेनेट | सकता है। गर्भवती महिलाओं को चॉकलेट से सावधान रहने (मांस) होने से शाकाहारियों के लिए अखाद्य है। बच्चों को | की आवश्यकता है। जर्मनी में किए गए परीक्षण के अनुसार प्रिय लगने वाली ऐसी चीजें उनकी सेहत खराब करती हैं।। सनसेट यलो का अधिक सेवन अंधत्व ला सकता है। ये रसायन चॉकलेट, बिस्किट बच्चों को ज्यादा देना हानिकारक है, यह बच्चों की पाचनशक्ति मंद कर उनके विकास में बाधक बनते सब जानते हैं, मगर इससे और अधिक खतरे हैं, जिसमें अधिकांश लोग अनभिज्ञ हैं। लालीपॉप, च्युईंगम, चॉकलेट, टॉफी बच्चों चरबी से चॉकलेट की सेहत और आदतों पर विपरीत असर डालती है। बच्चों का श्रीमती मेनका गांधी ने अपने एक शोध लेख में स्पष्ट किया आहार कम हो जाता । शक्कर से बनी इन वस्तुओं से बच्चों का है कि कुछ चॉकलेटें चरबी के गिरे हुए टुकड़ों से बनाई जाती पाचन तंत्र बिगड़ता है। पेट की खराबी से बच्चे सुस्त व चिड़चिड़े हैं। अब देखें ब्रेड और बिस्किट का स्वाद । 'इंटेलीजेंट इन्वेंटर' हो जाते हैं। दांतों में केविटी (छिद्र) हो जाती है। केविटी में | के 9 अगस्त 2002 के अंक में प्रकाशित एक लेख में निवेदिता सूक्ष्म कीटाणु बढ़ जाते हैं जो और जीवाणुओं के साथ शक्कर मुखर्जी ने लिखा है कि गेहूं से तैयार आटा विषयुक्त होता है। द मिलने से एसिड बन जाता है और यह दांतों के लिए अत्यंत कन्जूमर एजूकेशन एंड रिसर्च ने देशभर से खरीदे 13 प्रकार के हानिकारक होता है। आटों के नमूनों की परीक्षा की थी और पाया था कि इन सभी में लखनऊ की पर्यावरण प्रयोगशाला में वैज्ञानिक एस.सी. | डी.डी.टी. सहित लीडेन और इथेन जैसे जन्तुनाशक रसायनों के सक्सेना द्वारा किए गए शोध से ज्ञात हआ है कि चॉकलेट में अंश मिले हुए थे। ज्यादा निकल होने से बच्चों को कैंसर भी हो सकता है। इसके ब्रेड के आटे में पाये जाने वाले उक्त रसायन फसल उगाने अतिरिक्त इसका प्रभाव लीवर तथा पित्ताशय पर भी पड़ता है, | के समय उपयोग में लाए जाते हैं, जबकि इनके उपयोग पर चर्मरोग हो सकता है और असमय बाल सफेद हो जाते हैं। श्री | पाबंदी लगी हुई है। डी.डी.टी. मस्तिष्क और ज्ञानतंत्र को हानि सक्सेना का दावा है कि 40 ग्राम चॉकलेट में भारत में 600 से | पहुँचाता है, एल्ड्रीन से कैंसर होने का भय होता है तथा इथेन 24 जुलाई 2004 जिनभाषित Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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