Book Title: Jinabhashita 2004 07
Author(s): Ratanchand Jain
Publisher: Sarvoday Jain Vidyapith Agra

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Page 34
________________ T पल्पसर (फोन नं.0761-2371121) के नाम पर आवेदन पत्र प्रेषित करें। यह भी विदित कराया गया है कि माह सितम्बर 2004 में महाराष्ट्र शासन ने जैन समाज की चिरप्रतीक्षित मांग पर नवीन प्रशिक्षार्थियों की भरती का कार्यक्रम उन प्रशिक्षार्थियों को विभिन्न दृष्टिकोणों से विचार कर विगत 7 मई 2004 को राज्य भेजा जावेगा । जिनके आवेदन 15 अगस्त 2004 तक कार्यालय में 'जैन समाज' को अल्पसंख्यक समाज' घोषित कर दिया है। को प्राप्त हो चुके होगें। इस सम्बन्ध में महाराष्ट्र के राज्यपाल के आदेश एवं नाम से महाराष्ट्र शासन के सचिव श्री यू.पी.एस. मदान के हस्ताक्षर से 7 एलोरा गुरुकुल में आचार्य विद्यासागर सभागृह' मई 2004 को सामान्य प्रशासन विभाग,मंत्रालय, मुम्बई 400032, का नवनिर्माण शुभारंभ समारोह महाराष्ट्र से निर्णय जारी हो गया है। मराठी भाषा में प्रकाशित श्री पार्श्वनाथ ब्रह्मचर्याश्रम (गुरुकुल)एलोरा जिला औरंगाबाद इस शासन निर्णय क्रमांक आर.एम.एन./2003/1216/प्र.क्र.114/ | (महाराष्ट्र) में परम पूज्य आचार्य श्री विद्यासागर सभागृह का नव 03/35 में जारी इस निर्णय में सूचित किया गया है कि राष्ट्रीय निर्माण शुभारम्भ समारोह ध.श्री मान् अशोक कुमार जी पाटनी अल्पसंख्यक आयोग अधिनियम 1992 के अनुसार केन्द्र शासन (आर.के.मार्बल)मदनगंज-किशनगढ़ वालों की प्रेरणा से रविवार, ने मुस्लिम, ईसाई, सिक्ख, बौद्ध, एवं पारसी इन समाजों को दिनांक 18-07-04, दोपहर-3 बजे श्री सुभाषसा केशरसा साहु 'अल्पसंख्यक समाज' सम्बोधित करके घोषित किया है। उसके जी, जालना वालों की अध्यक्षता में सम्पन्न हुआ। अनुसार राज्य के इन समाजों को अल्पसंख्यक समाज के लिए संत शिरोमणी आचार्य पर्याप्त सुविधाएँ उपलब्ध हैं। राज्य के जैन समाज की ओर से उपर्युक्त पाँचों समाजों के समान ही इस समाज को भी 'अल्प श्री विद्यासागर जी महाराज संख्यक समाज की घोषणा किए जाने के सम्बन्ध में माँग की की शिष्या का सुयश गयी थी और शासन इस पर विचार कर रहा था। शासन ने इस आचार्य श्री की आज्ञानुसार संस्कृत विषय सम्बन्ध में पर्याप्त सोचकर राज्य के जैन समाज को 'अल्पसंख्यक में एम. ए. करने के लिए प्रतिभा मंडल समाज' घोषित करने का निर्णय लिया है। से आयी शारदा सीमेंट पाइप फैक्ट्री वाले __ जैन समाज के विद्यार्थियों,संस्थाओं के शैक्षणिक एवं भाषिक श्री रूपचन्द जी जैन की सुपुत्री ब्रह्म. उन्नयन के लिए लाभकारी इस निर्णय के प्रति महाराष्ट्र शासन रश्मि (क्षमा दीदी) ने शास. स्ना. महाविद्यालय दमोह में अध्ययन करते हुए संस्कृत के साथ प्राकृत तथा जैन विद्या वैकल्पिक वर्ग के माननीय मुख्यमंत्री, अल्पसंख्यक विभागीय मंत्री, महाराष्ट्र स्वीकृत करके डॉ.भागेन्दु जी के संरक्षण में एम. ए. संस्कृत राज्य अल्पसंख्यक आयोग के साथ ही वे सभी जन बधाई के 2004 की परीक्षा में 86.6 प्रतिशत अंक अर्जित कर डॉ. हरीसिंह पात्र हैं जिन्होंने इस महत्वपूर्ण कार्य में सहयोग प्रदान किया है। गौर विश्वविद्यालय सागर में प्रथम स्थान प्राप्त किया है। इस जैन समाज जबलपुर, प्रशासकीय प्रशिक्षण संस्थान, श्री पिसनहारी उपलब्धि पर ब्र. रश्मि (क्षमा दीदी) को सभी शुभचिंतकों ने ट्रस्ट कमेटी, श्री नंदीश्वर द्वीप रचना समिति, जैन नवयुवक शुभकामनाएं प्रेषित की। सभा,दयोदय तीर्थ कमेटी आदि अनेकों संस्थाओं द्वारा महाराष्ट्र कु. नमिता दिनेशकुमार शासन के प्रति बधाईयाँ प्रेषित कर हर्ष व्यक्त किया है। गंगवाल का सुयश नरेश गढ़वाल औरंगाबाद के उद्योगपति श्री दिनेश कुमार अजित जैन, एडवोकेट, जबलपुर जी गंगवाल की पुत्री तथा स्वतंत्रता संग्राम आवेदन पत्र आमंत्रित सेनानी श्री पन्नालाल जी गंगवाल की पोती कु. नमिता गंगवाल ने वर्ष 2004 की प्राशासकीय प्रशिक्षण संस्थान, पिसनहारी मढ़िया, जबलपुर H.S.C. की परीक्षा में औरंगाबाद विभाग संस्थान के डायरेक्टर श्री अजित जैन एडवोकेट द्वारा जारी में 85 प्रतिशत अंक प्राप्त कर 11वाँ मेरिट का स्थान प्राप्त कर विज्ञप्ति के अनुसार माह अक्टूबर 2004 के प्रारम्भ होने वाले अपना एवं परिवार का तथा समाज का नाम रोशन किया। अतः नवीन सत्र के प्रवेश हेतु 15 अगस्त 2004 तक प्रशिक्षार्थियों विविध संस्थाओं द्वारा अभिनंदन किया गया। कु. नमिता ने न द्वारा आवेदन पत्र मंगाए गए। केवल स्कूल की पढ़ाई में प्रथम स्थान प्राप्त किया, बल्कि जीवन प्रतियोगी परीक्षा के प्रशिक्षार्थी गण, श्री मुकेश सिंघई, की अन्य कलाओं में भी राष्ट्रीय स्तर का यश सम्पादन किया है। अधीक्षक भारतवर्षीय श्री दिगम्बर जैन प्रशासकीय प्रशिक्षण विशेषकर चित्रकला में जापान अवार्ड मिला एवं सम्पूर्ण भारतवर्ष संस्थान,पाण्डुक शिला परिसर,पिसनहारी मढ़िया, गढ़ा जबलपुर में से 23 लाख छात्र-छात्राओं ने भाग लिया जिसमें नमिता को । स्वर्ण पदक प्राप्त हुआ । 32 जुलाई 2004 जिनभाषित Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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