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सभा के अन्त में ब्र. जिनेश जी ने कायोत्सर्ग ध्यान पूर्वक मुनि श्री को सारी धर्म सभा से विनम्र श्रद्धांजलि अर्पित करवाई। राजेश जैन अधीक्षक, वर्णी दि. जैन गुरुकुल, पिसनहारी मढ़िया, जबलपुर रक्तदान शिविर
जयपुर २३ नवम्बर २००३, जी- २२ ग्रुप (रजि.) श्री दिगम्बर जैन समाज, शास्त्री नगर, जयपुर की चतुर्थ वर्षगांठ पर विशाल रक्तदान शिविर का आयोजन किया गया। इसमें कुल १३५ युनिट रक्तदान का कार्य किया गया। यह कार्यक्रम प्रतिवर्ष मानव सेवार्थ के क्षेत्र में संस्था अपनी वर्षगांठ पर आयोजित करती है। कार्यक्रम संयोजक सुनील जैन ने जानकारी दी कि संस्था ने पिछले चार वर्षों में समाज सेवा के क्षेत्र में महत्वपूर्ण योगदान दिया है। गुजरात भूकम्प का मामला, उड़ीसा तूफान, राजस्थान अकाल या समाज के कमजोर, आर्थिक स्थिति के लोगों को शैक्षणिक, वैवाहिक कार्यक्रमों में अग्रणी रहकर संस्था निरन्तर कार्यरत है। संस्था का नामकरण बाइसवें तीर्थंकर नेमीनाथ भगवान जो कि गिरनार से मोक्ष गये। जी से तात्पर्य गिरनार तथा
बाइसवें तीर्थंकर नेमीनाथ भगवान के नाम पर २२ रखा गया। इस
संस्था को अनेक साधु-सन्तों की प्रेरणा तथा आशीर्वाद प्राप्त है। आचार्य श्री ज्ञानसागर पर डाक टिकिट जारी करने की माँग
श्री अखिल भारतवर्षीय दिगम्बर जैन विद्वत्परिषद् ने भारत सरकार के मंत्री श्री अरुण शौरी से माँग की है कि सूचनाप्रसारण वह बीसवीं सदी में शुष्क होती संस्कृत लेखन परंपरा को पुनरुज्जीवित करने वाले महाकवि आचार्य श्री ज्ञानसागर जी महाराज की पुण्य स्मृति में एक डाक टिकिट जारी करें। उल्लेखनीय है कि महाकवि आचार्य श्री ज्ञानसागर जी महाराज ने जयोदय महाकाव्य जैसे विशाल महाकाव्यों के साथ ही बीस अन्य महत्वपूर्ण ग्रन्थों की रचना की है। आज उनके शताधिक शिष्य श्रमण परम्परा को वृद्धिंगत करते हुए अहिंसा, विश्व शांति एवं राष्ट्रभक्ति के प्रचार प्रसार में संलग्न हैं, जिनमें आचार्य श्री विद्यासागर जी महाराज प्रमुख हैं। ऐसे महापुरुष की स्मृति में डाक टिकिट प्रकाशित कर सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय का डाक तार विभाग अपनी विनम्र श्रद्धांजलि अर्पित करे।
उक्त माँग का समर्थन दिनांक ७ से ९ अक्टूबर तक केकड़ी (राज.) में आयोजित पद्मपुराण परिशीलन एकादश राष्ट्रीय विद्वत् संगोष्ठी में उपस्थित संस्कृत साहित्य के प्रखर मनीषियों ने किया । इस संबन्ध में एक प्रस्ताव परम पूज्य मुनि पुंगव श्री सुधासागर जी महाराज, पूज्य क्षुल्लक श्री गंभीरसागर जी महाराज एवं पूज्य क्षुल्लक श्री धैर्यसागर जी महाराज के सान्निध्य एवं सैकड़ों नर नारियों की
दिसम्बर 2003 जिनभाषित
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उपस्थिति में पास किया गया। ब्र. संजय भैया इस विषय में लगातार प्रयास कर रहे हैं।
समस्त जैन समाज एवं सामाजिक संगठनों के पदाधिकारियों, विद्वानों से निवेदन है कि वह उक्त माँग के समर्थन में अपने प्रस्ताव निम्नलिखित महानुभावों को भिजवायें तथा एक प्रति विद्वत्परिषद् के मंत्री कार्यालय को भेजें
1. श्री अरूण शौरी ( सूचना एवं प्रसारण मंत्री, भारत सरकार, साऊथ ब्लॉक, संसद भवन मार्ग, नई दिल्ली ) ।
2. श्री रविशंकर प्रसाद, सूचना एवं प्रसारण राज्यमंत्री, भारत सरकार नई दिल्ली।
3. श्रीमती पद्मा बाला सुब्रमण्यम्, सचिव एवं महानिदेशक डाक विभाग, डाक भवन, संसद मार्ग, नई दिल्ली।
4. श्रीमती मीरा हाण्डा, महानिदेशक (Philately) डाक विभाग, डाकभवन, संसद मार्ग, नई दिल्ली।
5. श्रीमती अमरप्रीत दुग्गई, सहायक महानिदेशक (Phil) डाक विभाग, डाक भवन, संसद मार्ग, नई दिल्ली।
6. श्रीमती देविका कुमार, डी. डी. जी. (Philately) डाक विभाग, डाक भवन, संसद मार्ग, नई दिल्ली।
विद्वद् विमर्श के तृतीयाङ्क हेतु शोधालेख आमंत्रित
श्री अखिल भारतवर्षीय दिगम्बर जैन विद्वत्परिषद् द्वारा डॉ. सुरेन्द्र कुमार जैन के संपादकत्व में प्रकाशित मुख पत्र 'विद्वद विमर्श' के तृतीयाङ्क का प्रकाशन दिसम्बर २००३ में किया जायेगा । विद्वान लेखकों से शोध परक एवं प्रासंगिक आलेख सादर आमंत्रित हैं। समीक्षा प्रकाशन हेतु कृतियाँ १५ नवम्बर तक प्राप्त हो जाना चाहिए।
कर्तत्ववाद में नहीं कर्मवाद में विश्वास रखता है जैन धर्म विचारगोष्ठी में वक्ताओं के विचार
जैनधर्म कर्तत्ववाद में विश्वास नहीं रखता है वरन कर्मवाद में विश्वास रखता है। जीव जैसा कर्म करता है वैसा ही फल भोगता है। शुभ भावों के फल स्वरूप जीव सच्चे सुख को प्राप्त करता हुआ अमरत्व (मोक्ष) प्राप्त करता है ।
ये उद्गार जैन दर्शन के प्रमुख विद्वान् पं. बिहारी लाल मोदी शास्त्री ने डॉ. रमेश चन्द जैन (बिजनौर) की नव प्रकाशित कृति 'जैन धर्म की मौलिक विशेषतायें' नामक कृति पर पार्श्व ज्योति मंच द्वारा आयोजित विचार गोष्ठी में व्यक्त किये।
अंत में सभी सदस्यों ने पूज्य आर्यिका वर्धितमती माताजी के समाधिमरण पर दिवंगत आत्मा की सद्गति की कामना करते हुए दो मिनट का मौन रखकर भावभीनी श्रद्धांजली दी ।
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डॉ. नरेन्द्र भारती, पार्श्व ज्योति मंच, सनावद (म.प्र.)
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