Book Title: Jeetkalp Sabhashya
Author(s): Kusumpragya Shramani
Publisher: Jain Vishva Bharati
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________________ जीतकल्प सभाष्य निभा - निशीथभाष्य। मनु - मनुस्मृति। निभा चू - निशीथभाष्य चूर्णि। मनुमिटी - मनुस्मृति मिताक्षरा टीका। निसा - नियमसार। मवि - मरणविभक्ति प्रकीर्णक। निसू - निशीथसूत्र। मूला - मूलाचार। पंकभा - पंचकल्पभाष्य। मूलाटी - मूलाचार टीका। पंचा - पंचाशक प्रकरण। याज्ञ - याज्ञावल्क्य स्मृति। पंव - पंचवस्तु। राजटी - राजप्रश्नीय टीका। पारा - पाराशर स्मृति। वशि - वशिष्ठ स्मृति। पिनि - पिण्डनियुक्ति। विपु - विष्णु पुराण। पिनिमटी - पिण्डनियुक्ति मलयगिरि टीका। विशे - विशेषणवती। पिभा - पिण्डनियुक्ति भाष्य। व्यभा - व्यवहारभाष्य। प्रकी - पइण्णयसुत्ताई। व्यभापीटी - व्यवहारभाष्य पीठिका टीका। प्रज्ञा - प्रज्ञापना। व्यभामटी - व्यवहारभाष्य मलयगिरि टीका। प्रसा - प्रवचनसारोद्धार। व्यसू - व्यवहार सूत्र। प्रसाटी - प्रवचनसारोद्धार टीका। शुक्र - शुक्रनीति। बृचू - बृहत्कल्प चूर्णि। षट्ध - षट्खण्डागम धवला। बृभा - बृहत्कल्पभाष्य। सं. हिं. कोश - संस्कृत हिन्दी शब्द कोश (आप्टे)। बृभाटी - बृहत्कल्पभाष्य टीका। सम - समवाओ। बृभापीटी - बृहत्कल्पभाष्य पीठिका टीका। समय - समयसार। बृसू - बृहत्कल्पसूत्र / ससि - सर्वार्थसिद्धि। भ - भगवती। सू - सूत्रकृतांगा भआ - भगवती आराधना। सूटी - सूत्रकृतांग टीका। भआविटी - भगवती आराधना विजयोदया टीका। स्था - स्थानांग। भटी - भगवती टीका। स्थाटी - स्थानांग टीका। भापा - भावपाहुड़।

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