Book Title: Jayantiprakaranvrutti
Author(s): Malayprabhsuri, Chandanbalashreeji
Publisher: Shrutgyan Prasarak Sabha

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Page 440
________________ [२] द्वितीयं परिशिष्टम् जयन्तीप्रकरणवृत्तौ उद्धरण-तात्त्विकपद्यानाञ्चाकाराद्यनुक्रमणिका ॥ पद्यांशः श्लोक-पत्राङ्कः | पद्यांशः श्लोक-पत्राङ्क: अ अभितरं पि भणयं १३-१४९ अइविमलसंवरेणं ४-१६४ अमयस्सन्दिकरो वि हु १९-२८१ अग्घंति कलीए खला ५६८-४९ | अलियं न भासियव्वं २८९-२७ अच्छिमीलणमित्तं पि [ ] २२२-२४७ अलियं न भासियव्वं [ ] ५-१९० अज्जवसुरतरुमंजरि २-१९० अवरावरविसए [ ] २९४-१४८ अटुंगमद्दियाओ ८००-६७ अवलम्बिया तिणा वि हु ११-३३३ अट्ठहिरन्नसुवन्नयकोडिओ ७९०-६६ अवि गामदेसनयरंतरेसु ४-८५ अणसणमूणयरिया [] ९-१४९ / अविणीओ अवणी( णे)ओ ३३८-३१ अणुकंपाए चाओ १०-११३ अवियड्डपई पोढंगणाण [ ] १४१-९६ अणुदियकुसलं परिहासपेसं ७३-३७५ असहायाण न सिद्धी २५-३८७ अणुवट्ठियस्स धम्म ८६-३२५ असुइरसकरणमेहे पुरिसगेहे १३-२२७ अणुहवइ दुहं जणणी ३६-१९९ अह तिक्खदुक्खवेयणजलेण ६-३२७ अदंसणेण अइदंसणेण ५७-११७ | अह दाणसीलतवविहि १-१६९ अधुवे असासयम्मि ७१-२५४ | अहवा रयणायरस्स [ ] ९५-९२ अनियाणेणं वेयावच्चेणं १-१६४ | अहवा विसयपिवासा ११७-२२२ अनियाणो जिणधम्मो ३-१६९ | अहवा सहत्थरोविय ४५-३४१ अन्नं इमं सरीरं अन्नो [ ] ४५-१६७ अन्नह परिचिंतिज्जइ [] २२४-१०२ आगमसिद्धा सगडापिया ६०७-५२ अप्पप्पएसा पुण २-३२७ | आरंभे नत्थि दया [ ] ९७६-८१ अप्पहियं कायव्वं [] ८०-३४३ | आवाय च्चिय महुरा २१-२५७ अप्पाणुमाणविन्नाण [ ] १४०-९६ | आसंसं चईऊणं २-१६९ आ _Jain Education International 2010_02 For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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