Book Title: Jayantiprakaranvrutti
Author(s): Malayprabhsuri, Chandanbalashreeji
Publisher: Shrutgyan Prasarak Sabha

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Page 453
________________ ३९८ ३९७ २५५ ९२ ३३४ ४१६ जयन्तीप्रकरणवृत्तिः संभूय | [ पुत्त-मुणी] २९०, २९१, शतानीक [ नृप] ५ सम्भूय। २९२, २९४, २९५ शीलगण [ सूरीश] साकेय | [नयर] ९, १५, १६४, २३७, शोभनदेव [ ठक्कुरसुत] साकेयपुर। २४१, २८३, २८५ श्रीकान्ता [ श्रेष्ठिपुत्रवधू] सागरदत्त | [सिट्ठि] ८७, ८८, १११, श्रीदेवी [ ठक्कुरपत्नी] ३९७| सायरदत्त ११२, १८६, २३७, श्रीपाल [ ठक्कुर] ३९७ २३८, २४३, २४६, २५० सायरचन्द [ सिट्टि] १८७ सणंकुमार [ चक्कवट्टि] २९०, २९४ | सावत्थी [ पुरी ] २५०, २८४ सत्तुंजय [ तित्थ] १९६ | साहसिय [ बिप्पपुत्त] ३०, ३१ समुद्ददत्त [ वणिअ-सिट्ठिपुत्त] २०१, २०३, सिंहल [ दीव] २३७, २४३, २४६, २४७/ सेणिअ |[निव] ६१, ६२, ६८, ७३, संपया |[ सिट्ठिभज्जा] १८६, १८७, | सेणिय ७६, ७८, ८०, ८४, १५९, सम्पया! १८८, १८९ १६०, १६१, २०६, २०८, सयंभरी [पुरवरी] २०९, २१०, २११, ३३७, सयंभुरमण | [ समुद्द] . २१७, २७१] |३३८, ३४०, ३४१, ३४२, ३४३ सयम्भुरमण सिद्धकूड[कूड] १०९ सयाणिय | [निव] ५, ७, १२, १३, सिरिकता।[सेट्ठिभज्जा-०पुत्तवहूसयाणीय १५, ३३८| सिरिकन्ता सत्थवाही ] २५५, २५८, २८५ सरस्सइ [ देवया] ३३५ सिरिदत्ता [ सिट्ठिपुत्तवहू] २५५ सवायलक्ख [ देस] ३३४] सिरिनिलय [नयर] ११२ सर्वदेव [सूरि] ३९४ | सिरिमइ [सिट्ठिघरिणी] २३७, सव्वंगसुन्दरी [ सिट्ठिपुत्ती] २३७, २३८, [सिट्ठिकन्ना] | २४०, २४१ २४०सिव | [ देवी] १७, १८ सव्वट्ठ ।[विमाण] १७४, १७५, सिवा| सव्वट्ठसिद्धि | . २०९, २१२, ३२७| सिव [सुर] ४८, ४९, ५०, ५१, ५२ सहसाणिय |[ नृप] ५, ७, १९ सीमंधर | [जिणवर] ३५० सहसाणीय सीमन्धर सहसानीक सीया | संख [सिट्ठि-नरिंद] ९३, ९५, ९८, ९९, सीह | [राया] १५१, १५२, १५३ १००, २३७, २३८, २७२ सीहरह। संखउर [ नयर] १८६ | सुक्क [ देवलोग] २९६ संपइ [निव] १२३, १२४, १२५| सुट्ठिय [ सूरी] ५२, ५४, ३२८ सुत्तमइ [ पुरवरी ] १९० Jain Education International 2010_02 For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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