Book Title: Jayantiprakaranvrutti
Author(s): Malayprabhsuri, Chandanbalashreeji
Publisher: Shrutgyan Prasarak Sabha
________________
अङ्गर्षि ।
आ
इ
४१०
जयन्तीप्रकरणवृत्तिः अंग [ देस]
१२६ | कमलसिरी [ रायसुया-सिट्ठिपुत्तवहू] ११२, अंगरिसी। [छात्त-केवली] २८०, २८१,
__ २३०, २३५, २३६ २८२, २८३/ कम्पिल्ल [ पुर]
. २८६ अंगारमद्दउ [ आयरिय] ३२९, ३३० | कलि [ नरिन्द] अंगारवइ [ चंडपज्जोयभज्जा] ३४| कविल। [पुरोहिअ०, सुत्त, २०, १३२, अंजण । [पव्वय] १७६, २६५, २६७ | कविल -रिसि] २४९, २५०, २५१, अंजणगिरि
२५२, २५३, २५४, २५५
कविला [पुरोहिअपत्ती] १३२, १३३, आम [निव] ३३३
१३४, १३५ आसाती [ पूरी] ७, कंसासुर [ असुर]
३६९ काल
३३७,३३९, ३४०, इक्खाग [वंस-कुल] १७७, २१४ | कालसूयरिय ३४१, ३४२, ३४३ इन्द्रभूति [गणभृत्]
कालसोयरिय | कित्ती [ रायभज्जा]
१६५ ईसर [ सिट्ठ-सिट्ठिसुअ] २२६, २३० | कुणाल [ रायपुत्त ]
१२१
कुलपुत्त [ पुत्त] १५६, १५७, १५८, उज्जयणी | [ नयरी १५, २१, १२२, १२३,
१५९, १६३ उज्जेणी | १५१, १५३, ३८५/ कुसत्थल [गाम]
३० उत्तरज्झयण [ सुयकखंध]
कुंकण [ देस]
१५० उदय [रायकुमार] ९, २४, ३४, ४१, केसव
३६९ उदयण
४४, ४५] कोसंबी |[नयरी] ५, ६, १२, १५, १७, उसभ [सेट्ठि-वीरपिया ] ८९, ९३, कोशाम्बी| १९, २२, ३१, ३५, ३९, ४३, उसभदत्त।
११०, ३९१/ ११८, १२५, १५१, २४९, २५०, ३३८ उसह [जिण-नाभिसुअ]१७६, १७७, १८० | कोसल [पुर]
२४० उसहदास [ सिट्टि]
१३२ कोसियअज्ज [ उवज्झाअ] २८० क्षुल्लक [ कुमार]
२८३ कच्छ [ नरिंद]
१७८ कण्डरिअ। [ जुवराय-मुणि] २८३, ३१८, खिइपइट्ठिय। कण्डरीअ ३२०, ३२१, ३२२, ३२३, खिइपयट्ठिय | [नयर] २५५, ३२९, ३८२ कण्डरीय |
३२४, ३२५, ३२६ खियपयट्ठिय कन्तिमइ [ सिट्ठिकन्ना] १९७, १९९, २४०, खीरकयम्ब [ उवज्झाय] १९१, १९३
२४१, २४२, २४३, खुड्ड
२४४/ खुड्डग [ कुमार] २८४, २८५, २८६ कमलमाला [ रण्णी] ३८०, ३८१खुल्लग |
क
Jain Education International 2010_02
For Private & Personal Use Only
www.jainelibrary.org
Page Navigation
1 ... 445 446 447 448 449 450 451 452 453 454 455 456 457 458 459 460 461 462