Book Title: Jambuswami Charitra
Author(s): Deepchand Varni
Publisher: Mulchand Kisandas Kapadia

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Page 43
________________ ( ४१ ) तब काछीने कहा - "प्यारी ! जो उसे मै मारूँ, तो राजा दंड दे, स्वनन और जातिके पंच मुझे बाहर कर दें, इसलिये यह अधम कार्य मैं कैसे करूं ?" तब स्त्री वोली - " मैं तुमको उपाय बताती हूँ सो करो कि सवेरे आप दो इल लेकर खेतमें जाना और उनमें से एक हल पुत्रको दे कर आगे कर देना और मरखाहा बैल अपने हलमें लगा कर आप पीछे पीछे हल चलाना और आँख बचाकर वैलको ढीला कर देना सो वह जा कर उसे सींग मार देगा । बप्स, पीछेसे आप उसे मारने लगना और चिल्ला देना, कि दौड़ियो २ बलने मेरे लड़केको मार डाला । इस प्रकार कार्य हो जायगा और कोई न जान सकेगा । तब वह कामांध काछी इस बातपर राजी हुआ, परंतु यह सब बात किसी तरह उसके पुत्रने सुन लो । जव सवेरा हुआ तो काळाने लड़केको आज्ञा दी कि हल लेकर खेत जोतने चल । लड़केने वैसा हीं किया । जब वह हल लेकर खेतमें गया तो धानका जो फूला फला हुआ खेत था उसीमें वह हल फेरने लगा । इतने में काछी आया और क्रोष कर कहने लगा- 'अरे मूर्ख ! तूने यह क्या किया कि चार महीने की कमाई खो दी। लड़का बोला- 'पिताजी ! इसमें क्या धान होगा ? अब जोत कर गेहूँ चना बोलेंगे, सो वैशाखमें खाना । " तब काछी बोला- 'बेटा! तू अत्यन्त मूर्ख है । हालका पका हुआ खेत तो मट्टी में मिलाता है और आगेकी आशा करता है । आगे क्या जाने क्या हो ? ' यह सुन बेटा बोला- " 1

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