Book Title: Jainism vis a vis Brahmanism
Author(s): Bansidhar Bhatt
Publisher: Z_Nirgranth_Aetihasik_Lekh_Samucchay_Part_1_002105.pdf and Nirgranth_Aetihasik_Lekh_Samucchay_Part_2

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Page 29
________________ Jainism vis-à-vis Brahmanism + जहा से तिमिर विद्धंसे...दिवायरे, जलंते इव तेएणं... + सुरो व्व दित्ततेए Cp. ज्योतिषां रविरंशुमान्... + तदादित्यः स प्रजापतिः + दीप्तानलार्कद्युति - ... + आदित्यवर्णं तमसः परस्तात् vss. 7-8 :- इंदेण देवाणं, ...सक्केव देवाहिवई जुइमं ... + जहा से...सक्के देवाहिवई... Cp. देवानाम्...वासवः... vs. 8 :- महोदही वापि अनंतपारे... Cp. सरसाम्... साडारः + ता आपः स प्रजापतिः vs. 9 :- सुदंसणे वा नगसव्वसेद्वे... Cp. मेरुः शिखरिणाम्... + जहा से नगाण पवरे...मंदरे गिरी..... + गिरिराया चेव मंदस्वर vs 11 :- पुट्ठे नभे चिट्ठा भूमिर्वाट्ठिए.. Cp... भाः सदृशी सा स्याद् भासस्तस्य महात्मनः.... + .. आदित्यवर्णं तमसः परस्तात्... .. रवितुल्यरूपः ... + + ... तदादित्यः... स प्रजापतिः vs. 18 :- - रुक्खेसु...जह सामली वा Cp. अश्वत्थः सर्ववृक्षाणाम्... + जहा सा दुमाण पवरा, जंबू... + दुमेसु जहा जंबू vs. 19 :- चंदो व ताराण महाणुभावे + .. तदु चंद्रमाः... + नक्खत्ताण व चंदिमा... + जहा से उडुवई चंदे नक्खत्तपरिवारिए... + गहगण... तारगणं व जहा उडुपती Cp.... नक्षत्राणाम्... शशां... vs. 20 :- नागेसु वा धरणिदमाहु से .... Cp. + अनन्तश्च... नागानाम्... Jain Education International 29 (Gt. 11. 20, 24) Cp. द्यावापृथिव्योरिदम्... व्याप्तम् नमः स्पृशम्... vss. 12-13 :-...प्पगासे, विरायती कंचणमवन्ने... से जलिएव भोमे... पन्नायते सूरियसुद्धले से...मणोरमे जोयइ अच्चिमाली... For Private & Personal Use Only (Utt. 11.24 ) (Aup. 830 = Prvy. 29) (Gt. 10.21) (Yajur-veda. 32. 1) (Gt. 11. 17) (Gt. 8. 9 = Śv. Up. 3. 8) (Utt. 11.23) (Gt. 10.22) (Gt. 10.24) (Yajurveda 32. 1) (Gt. 10.23) (Utt. 11.29) (Prvy. 26) (Gt. 11. 12) (Śv. Up. 3. 8, = Gt. 8. 9) (Śv. Up. 5. 8) (Yajur-veda. 32. 1) ( Gt. 10.26) (Utt. 11.27) (Prvy. 26) (Yajur-veda 32. 1) (Sū. I. 11. 22) (Utt. 11.25) (Prvy. 25) (Gt. 10.21) (Gt. 10.29) www.jainelibrary.org

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