Book Title: Jainendra Mahavrutti
Author(s): Abhaynanda Acharya, Shambhunath Tripathi
Publisher: Bharatiya Gyanpith

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Page 465
________________ जैनेन्द्र-व्याकरणम् ३|३|१११ | कर्तुः क्व सत्रं विभाषा ક कः खौ ककुदस्यावस्थायां खन् ४ | २ | १४६ | कर्तृकरणे भा ऋतरक्तमौ समर्थों कतिः संख्या कल्को ऽचि कर्तरि क्रुञ कर्तरि कृति कर्तरिक्तेन रिक्तियोः २१२११६४ | क कर्तरि चारतः कर्तरि ये करिश कर्तरीबे ४ | ३ | १४ | कर्तृकर्मणेः कृति कर्तृकर्मणो भू ३|२|१११ | कर्तृत्थे कर्मभ्यमत कनि कच्ाग्निवक्त्रयर्तयोः २ १०४ कच्छानः कटिनान्तप्रस्तारसंस्थानेषु ३/३/१८६ कम् कडङ्गरदक्षिणास्थाली- ३/४/६६ कर्त्रीजीवपुरुवयोर्न करोमनःश्रद्धाचाते १२/१६६ | कर्मदः २/ १२५ कर्मणि च ११३५८ कर्मणि चाल १/१/३३ | कर्माणि चै कर्मणि ठी कन्याञ ४ | ३ |२०० शरा७५ शश२०६ कर्मणि यत्पत्कङ्ग कथादेष्ठ__ कर्मणि इनः कद्र वो रोऽस्वयम्भुवः ४/४/१३४ कर्मणीन् विक्रित्रः कन्धापलदनगरग्राम- ३१२/२१८ | कर्मखोप् कन्यायाः कन्यायाः कनीनू च ३।२।१७ | कर्मणोपयः सम्प्रदानम्, ३|१|१०५ | कर्मण्यग्न्याख्यायाम् ५/४/२२ कपो कर्म ३ | ४ | ११७ | कर्मस्यधिकरणे ३|१|१६ | कर्म कपिशा कपित्रोधादाङ्गिरसे मृत्यो ङीय करणाधिकरणयोः करणे २४१११ | कालाध्वन्यविच्छेदे २११५.३ : करणे यजः फर्कलोहिताहीऋण काला मैत्रैः ३|४|९४ काले २१३७६ | कालेऽधिकरणे सुज १/४/६७ ३ | ३|१८८१ कालेभ्यः ३ | ४१७४ ११२/११७ कालेभ्यो भववत् श७६ | काश्यादेञियै ३१२४२९ कललाटभूषकः कर ३२/६२ हशिविदः २११२८ | कर्मण्याक्रोशे कृञः २३६६ कर्मण्यात्मनि २/४/२४ | कर्मवेषाद्यः २/२/७३ कर्मव्यतिहारे नः ४|१ | १६४ | कर्माध्ययने वृत्तम् ३३१४१ कर्मैधिशीङ्स्थासः १/४ १३३ कलापिनो कर्णे लक्षणस्यात्रिष्टा- ४१३१२१८ क्लाप्यश्वत्थययसाद् ३३३१२३ कानूगोणीभ्यां तर कतीरे १ | ३|७६ | कल्याण्यादीनामिनङ् ३३१/१२५ कास्यनेकाच्त्याल्लिटयाम् २।१।३१ ४ | ३३२१२ | किंकिलास्त्यर्थं लृट २/३११२२ २१११२ विसर्वनाम्नो ५४४३६ दो निर्धारणे श२।२० । किंयदत्तद्वद्दुनः ३।३।१२५ किंवृत्ते लिहूल ये | ११४ ३७ ३|१|१४५ Esser मर्यादावचने ११४१२० ४/१/१४५ २।४१५२ कच उष्णे कष्टाय ४१४६६८ ५१९८११३ | २१३७७ करका दौ I ४|४|१४७ I २२२८ २|३|१२० किंवृत्ते लिप्सायाम् २ /३१४ २/११६४ काकिनादेः कु कितीणो दोः ५/२/१६९ શાક किदन्तः १|१|५.४ २१४५६ कांस्यपारशी १।२८ | काऽपादाने I शह २४/२६ ६|४|६८ २३३१०५ १२३२ १२/१२० 1 काण्डाडादरः काण्यात् क्षेत्रे का पध्यक्षयोः का भीभिः काभ्यः कायाः स्तोकादेः २४१३० ३४६१५६ | कारके कायास्तम् २३३६८ २२७४ ११३४७६ | कारे प्रायः २३३१० कार्मः शीले २/४१३२ | कार्यार्थोऽप्रयोगोत् २२/२७ ४|११३७ |३|१|२६ ४|३|२१० ११३/३२ २१७ ४ | ३ |१२१ ४|११७३ ११२/१०६ ४|३|१२८८ ४(४१ १६३ શર कार्षापणुसहस्रसुवर्णशत- ३।४।२७ कार्यापणाद् वा प्रतिश्च ३४२३ कालप्रयोजना रोगस्य ४ १३१६ कालविभागेऽनहोरात्रा- २३३११३ १४२ का समयवेलासु तुम २/३३१४३ १/२११११ | कालाः २८० १८३/२७. २१२२७९ कालाच्य ४/२/१९ २१ | काला ३१२/१३१ २/३१७४ कालात् पुष्यत् पच्य २३८ २/४/१५ कालायः ३।४।१०० १६४/४ १२/६७

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