Book Title: Jainendra Mahavrutti
Author(s): Abhaynanda Acharya, Shambhunath Tripathi
Publisher: Bharatiya Gyanpith

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Page 534
________________ यद खद गद रद ञिविदा गुद प्रर्द खर्द अदि इदि त्रिदि शिवि नदि यदि कांद ऋदि लदि क्लिदि स्कंदरौ शुध उख ल वख मख रख लख रखि लख ख ईलि } शब्दे वला रगि स्थैर्ये हिंसायां च व्यक्तायां वाचि विलेखने अव्यक्ते शब्दे गतिया चनयोः ६३ हिंसायाम् कुत्सिते शब्दे दश बन्धने परमैश्वर्य अवयवे कुत्ते समृद्ध दीसिह्लादनयोः चेष्टायाम् श्राह्वानरोदनयोः परिदेवने गतिशोषणयोः शुद्धी गती लगि अमि तगि वगि मगि स्वगि इगि रिगि लिगि त्वगि पुगि जुगि गि दीव लौघ श्रो रासृ लघु द्वा शास्त्र श्लाखु 要 लक कक्क गगना तकि चक ल लञ लनि तर्ज लज लाजि | जज जजि जैनेन्द्रधुपादः गतं कम्पने च वर्जने पालने शोषणे आनं शोषणालमर्थयोः व्यासौ नीचैर्गती हसने कृच्छ्रजीने भर्त्सने भर्जने युद्ध | तुज तुनि पिजि गज गुजि गुज सृजि भृज सृजि रुज तीज गर्ज गज त्यजी शुत्र कुच ऋच लुंच अंच 宛 鹑啷想 阿骢啷囡 ņ丽明狩明丽积 चंचु चु मंचु मुं मुख म्लुचु चु अनु ग्लुचु पंच ध्वज ध्वजि शृज भृजि वज | नजि हिंसने पालने व शब्दे माने च त्यागे पाके उच्चैः शब्दे कौटिल्यापी भावको अपनयने दिपूजनयोः गतौ गतो ४६३

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