Book Title: Jainatva ki Zaki
Author(s): Amarmuni
Publisher: Sanmati Gyan Pith Agra

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Page 4
________________ प्रकाशकीय आज से लगभग अड़तालीस वर्ष पूर्व श्रद्धेय उपाध्याय कवि श्री अमर मुनिजी ने जैन धर्म, दर्शन, संस्कृति, इतिहास और सिद्धान्त का परिचय देने वाली एक महत्वपूर्ण पुस्तक का प्रणयन किया था, जिसे हम 'जैनत्व की झाँकी' के नाम से जानते हैं। जैन धर्म के प्राथमिक परिचय से लेकर अनेकान्तवाद, कर्मवाद जैसे गम्भीर विषयों तक की तलस्पर्शी चर्चा, जैन-संस्कृति और इतिहास का विहंगम अवलोकन और जैन धर्म के मूलभूत सिद्धान्तों का सारग्राही तटस्थ विश्लेषण यदि कोई पाठक आधुनिक भावभाषा के साथ किसी एक ही पुस्तक में देखना चाहे और इसके लिए उसे सर्वप्रथम यदि किसी पुस्तक का नाम बताया जा सकता है तो वह है, 'जैनत्व की झाँकी'। ___ इस पुस्तक की उपयोगिता जितनी जिज्ञासुओं और विद्यार्थियों के लिए हैं, उतनी ही उपदेशकों और लेखकों के लिए भी है। हमारा यह विश्वास पिछले वर्षों के अनुभव में स्थिर हुआ है। विभिन्न पाठकों के पत्र, साहित्यकार और पत्र-पत्रिकाओं के अभिमत से हमारा यह विश्वास बलवान बना है और इसकी बढ़ती हुई माँग तथा विभिन्न भाषाओं में होने वाले अनुवाद इस विश्वास को और भी सुदृढ़ बना रहे हिन्दी के अतिरिक्त गुजराती, मराठी, कन्नड़ और तमिल भाषा में भी इसके अनुवाद हो चुके हैं और हो रहे हैं। गुजराती और कन्नड़ भाषा में तो द्वितीय संस्करण भी हो चुके हैं। आशा है, इसका अंग्रेजी अनुवाद भी शीघ्र प्रकाश में आ जाये। अंग्रेजी भाषा के अनुवाद की - - - - - - Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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