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विषयानुक्रमणिका
(iii)
प्रकाशकीय आमुख
(iv) प्राक्कथन
(१) प्रथम अध्याय : विषय प्रवेश :
पूर्व के अध्ययनों का सर्वेक्षण-४, जैन तीर्थों के इतिहास की स्रोत सामग्री-७, साहित्यिक साक्ष्य-७, पुरातात्त्विक साक्ष्य-१०,
(i) अभिलेखीय साक्ष्य-१०, (i) जैन पुरावशेष-११ द्वितीय अध्याय : ग्रन्थकार और ग्रन्थ का परिचय : १४-२५
जिनप्रभसूरि का संक्षिप्त जीवन परिचय-१४, विविधतीर्थकल्प
का परिचय-१८ तृतीय अध्याय : जैन धर्म का प्रसार : ऐतिहासिक सर्वेक्षण : २६-६०
जैन धर्म का प्रारम्भिक प्रसार-२७, उत्तर भारत में जैन धर्म-३३ दक्षिण भारत में जैन धर्म-४१, गुजरात-काठियावाड़ में जैन
धर्म-४५ चतुर्थ अध्याय : तीर्थों का विभाजन :
६१-७३ तीर्थ शब्द का अर्थ-६१ १. उत्तर भारत-६८, २. पूर्व भारत-६९, ३. मध्य भारत-६९, ४. पश्चिम भारत-७०, (अ) राजस्थान७०, (ब, गुजरात-सौराष्ट्र-७०, ५. दक्षिणापथ और दक्षिण भारत-७१, (अ) महाराष्ट्र-७१, (ब) आन्ध्र प्रदेश-७२, (स)
कर्णाटक-७२, (द) केरल-७२ पंचम अध्याय : उत्तर भारत के जैन तीर्थ :
७४-१२० १. अयोध्यानगरीकल्प-७४, २. अहिच्छत्रानगरीकल्प-८१, ३. काम्पिल्यपुरकल्प-८५, ४. कौशाम्बीनगरीकल्प-८९, ५. चन्द्रावती-९२, ६. प्रयाग-९५, ७. मथुरापुरीकल्प-९८, ८. रत्नवाहपुरकल्प-१०३, ९. वाराणसीनगरीकल्प-१०४, १०. विन्ध्याचल पर्वत-११०, ११. श्रावस्तीनगरीकल्प-१११, १२. शौरीपुर-११५, १३. हस्तिनापुरकल्प-११७
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