Book Title: Jain Tattvavidya
Author(s): Tulsi Acharya
Publisher: Adarsh Sahitya Sangh

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Page 8
________________ ६ / जैनतत्वविद्या आदि प्रसिद्ध तत्त्वों का विवेचन है तो दूसरी ओर नय, निक्षेप, प्रमाण आदि दार्शनिक तत्त्वों का प्रतिपादन भी है। एक दृष्टि से पुस्तक सरल है तो दूसरी दृष्टि से गंभीर भी है। इसका निर्माण करते समय लक्ष्य यह रखा गया है कि सब प्रकार के पाठक इससे लाभान्वित हों | जैसा लक्ष्य था, उसके अनुरूप इस पुस्तक का उपयोग हुआ । जिन लोगों में जैन तत्त्वज्ञान के प्रति थोड़ा भी रुझान अथवा जिज्ञासा है, उन सबके लिए यह स्वाध्याय और एकाग्रता का साधन बन रही है । मेरी अन्य कृतियों की भांति इस पुस्तक के संपादन में भी साध्वीप्रमुखा कनकप्रभा ने पूरे मनोयोग से काम किया है। जैन तत्त्वज्ञान के जिज्ञासु लोग जैन तत्त्वज्ञान के भव्य प्रासाद पर आरोहण करने के लिए सोपान के रूप में इसका उपयोग करते रहें, यही अपेक्षा है । - आचार्य तुलसी जैन विश्व भारती लाडनूं (राजस्थान) १ नवम्बर १९९१ Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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