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जिस महात्मा के चित्र का दर्शन करके पाठक जन अपने हृदय तथा नेत्रों को पवित्र कर रहे हैं उनका शुभ नाम है "श्री १००८ गणावच्छेदक वा स्थविरपद-विभूषित है श्रीमद् गणपतिरायजी महाराज। आपका जन्म स्यालकोट जिला के अन्तर्गत पसरूर नामक M शहर में श्रीविक्रमाब्द १९०६ भाद्रपद कृष्ण तृतीया मंगलवार के दिन त्रिपंखिया गोत्रीय में
(काश्यपगोत्रान्तर्गत) लाला गुरुदास मल्ल श्रीमान को धर्मपत्नी श्रीमती गोर्या की कुक्षि । E से हुआ था आपके निहालचन्द्र १ लालचन्द्र २ पालामल ३ पंजुमल चार भ्राता थे और .
निहालदेवी : पाली देवी २ और तोती देवी ३ ये तीन भगिनियां थीं। आपका शैशव | काल बड़े ही भानन्दपूर्वक व्यतीत हुआ और युवावस्था प्राप्त होने पर नूनार ग्राम मे
वि. संवत् १९२४ में आपका विवाह संस्कार हुआ । श्राप सराफ़ी की दुकान करने