Book Title: Jain Tattva Kalika Vikas Purvarddh Author(s): Publisher: View full book textPage 4
________________ POSARI SH ECEM . समर्पण / THE SHERE 5 श्रीमद् गणावच्छेदक वा स्थविरपदवि9 भूषित स्वर्गीय श्रीश्रीश्री स्वामी गणपति राय / जी महाराज! - आप की महती कृपा से इस दास को जैन धर्म की प्राप्ति हुई है, आपने ही इस दास को जैनतत्त्वों का अभ्यास कराया था। अतः आप के सद्गुणों में मुग्ध होता हुआ और आप के अपार उपकारों का स्मरण करता हुआ मैं इस ग्रन्थ को आप के करकमलों में सादर समर्पण करता हूँ। उपाध्याय जैनमुनि आत्माराम / - CLAPADAPAISA---VODATA-SAMJY श्री हंसराज बच्छराज नाहटा सरदारशहर निवासी द्वारा जैन विश्व भारती, लाडनू को सप्रेम भेंट -Page Navigation
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