Book Title: Jain Tattva Kalika
Author(s): Amarmuni
Publisher: Aatm Gyanpith

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Page 13
________________ इस प्रकाशन में विशेष सहयोगी डा० मौजीराम जी जैन (देहली) डा० मोजीराम जी जैन उच्चस्तर के इन्जीनियर तथा अनेक बड़े औद्योगिक संस्थानों में सर्वोच्च पद पर रहने वाले एक कर्तव्य परायण सज्जन हैं । आप स्वभाव से बड़े ही मृदु किन्तु प्रशासन में दृढ़ और कुशल हैं । सरलता और निरभिमानता आपकी बड़ी बेमिसाल है । 1 आप ला ० जौहरीमल जी जैन के सुपुत्र हैं। ला० जौहरीमल जी गाँव हलालपुर जिला सोनीपत के प्रतिष्ठित व्यक्ति थे । आप हमारे श्रद्धेय श्री भण्डारी जी महाराज के बड़े भाई थे । धर्म के प्रति आपकी बड़ी आस्था थी । आपने कई अस्पताल, स्थानक, स्कूल आदि बनवाये तथा पुण्य कार्यों में धन का सदुपयोग करते रहते थे । आप गाँव खेवड़ा निवासी अपने मामा ला० किरोड़ीमलजी जैन (मित्तल) के गोद गये । जो बड़े धार्मिक थे । ला० जौहरीमल जी के तीन पुत्र हुए- श्री नेमचन्द जी, डा० मौजीराम जी तथा श्री रमेशचन्द जो । डा० मौजीराम जी बचपन से ही बड़े कुशाग्रबुद्धि थे । पिलानी से आपने एम. एस. सी. करके रसायन विज्ञान में कनाडा में विशेषज्ञता प्राप्त की, तथा देश के अनेक नामी औद्योगिक संस्थानों में अपनी सेवाएं दी । आपके दो सुपुत्र व एक सुपुत्री है । पुत्री डाक्टर है जो अभी विदेश में अपने पति डाक्टर के साथ सेवाकार्य कर रही है । आपकी धर्मपत्नी श्रीमती पुष्पादेवी भी बड़ी धार्मिक विचारों की उदार तथा सेवापरायण सन्नारी हैं । डा० मौजीराम जी जैन ने प्रस्तुत पुस्तक प्रकाशन में उदारतापूर्वक विशेष सहयोग प्रदान कर हमारा उत्साह बढाया है । धन्यवाद ! हाकमचन्द जैन मन्त्री — आत्म ज्ञानपीठ -

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