Book Title: Jain Stotra Sanchayasya Part 1 2 3
Author(s): Manikyasagarsuri
Publisher: Ramanlal Jaychand Shah Kapadwanj
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एतत्स्तवान्ते ' पालित्तय' पदोल्लेखात् स्फुटमेव । अवचूरिश्च अम्योपरि १३८० वर्षे श्रीजिनप्रभसूरिभिः कृताया वृत्तेः सक्षिप्य कृताऽस्ति. परंतत्कत्तनामा दिन ज्ञायते । एतासां तिसृणां कृतीनां मुद्रणयोग्यपत्राणि (प्रेसकोपी) पू० आगमोद्धारकआचार्यप्रवर-श्रीआनन्दसागरसूरीश्वरैः मत्पा-वि० २००५ वर्षे कारितानि स्वयं च शोधितानि जैनानन्दपुस्तकालयात् प्राप्तानि तदाधारेण संशोध्य प्रकाशीनाः कृतयः । इति निवेदयति.
चन्दनसागरगणि २०१६ कार्तिक शुक्लाएकादशी वटपढ़े
साभार स्वीकार श्री बडोदरा मध्ये जानीशेरी श्राविकाउपाश्रयना ज्ञानखातेथी रु. ५१. श्राधिका हसमुखबहेने
अर्पण कर्या.
प्यवस्थापक: रमणलाल जयचन्द शाह
PALALPARA.ORMALPANAVALPORao
"Aho Shrut Gyanam"

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