Book Title: Jain Stotra Ratnakar
Author(s): Shravak Bhimsinh Manek
Publisher: Shravak Bhimsinh Manek

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Page 155
________________ रएर परविवाहकरणेवर परिग्रहीता ग मनानंग क्रीमातीकामानिनिवे. शाः २३ ॥ क्षेत्रवास्तुहिरण्यसुवर्ण धनधान्यदासीदासकुप्यप्रमाणाति क्रमाः २४॥ उर्ध्वाधस्तिर्यग्व्यतिक मः देववृद्धिस्मृत्यं तर्धानानि २५॥ आनयनप्रेष्यप्रयोगशब्दरूपानुपातपुमलप्रदेपाः २६॥ कंदर्पकौकुच्य माखर्या समीयाधिकरणो होगा धिकत्वानि ॥ योगःप्रणिधाना नादरस्मृत्यनुपस्यापनानि २० ॥ अपत्यवेदिताप्रमार्जितोत्सर्गादान Jain Educationa Internatioresonal and Private Use apply.jainelibrary.org

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