Book Title: Jain Stotra Ratnakar
Author(s): Shravak Bhimsinh Manek
Publisher: Shravak Bhimsinh Manek
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१५७
॥ अथ नवमोऽध्यायः॥
श्राश्रवनिरोधः संवरः १ । सगु प्तिसमितिधर्मानुप्रेक्षा परिषहजय चारित्रैः । तपसा निर्जरा च ३। सम्यग्योगनि हो गुप्तिः ४ । र्या नाषै षणादान निदेपोत्सर्गाः समि तयः५ । उत्तमःदमामार्दवावशी चसत्यसंयम तपस्त्यागाकिंचन्यब ह्मचर्याणि धर्मः ६। अनित्याशरण संसारैकरवान्य शुचित्वाश्रवसंवरनिजरालोकबोधि पुर्खन धर्मस्वतस्वानुचिंतनमनुप्रेक्षाः । मार्गाच्य
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