Book Title: Jain Siddhanta Bol Sangraha Part 08
Author(s): Bhairodan Sethiya
Publisher: Jain Parmarthik Sanstha Bikaner

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Page 6
________________ शब्दों के लिये जैन कोष का काम भी देगा और पाठक केवल इसी की सहायता से कौनसा विषय क्रिस ग्रन्थ में कहाँ पर है? सहज ही जान सकेंगे। जैन सिद्धान्त वोल सग्रह कोई मौलिक रचना नहीं है। प्राकृत, संस्कृत भाषा के सिद्धान्त ग्रन्थों में से चुने हुए विषय सरल हिन्दी भाषा में प्रावश्यक व्याख्या एव विवेचन के साथ इन भागों में दिये गये हैं । अतएव हम उन सभी ग्रन्धकारों के, जिनके ग्रन्थों से हमने बोलसग्राह में वोल लिये हैं, अत्यन्त ऋणी हैं । यदि हमारे अनुवाद, व्याख्या अथवा विवेचन में उन ग्रन्थकारों के भाशय से कहीं स्खलना हुई हो तो हम उनसे नमा याचना करते हैं। पाठकगण से भी हमारा यह निवेदन है कि यदि उन्हें हमारे इस प्रकाशन में कोई त्रुटि या कमी प्रतीत हो तो हमें अवश्य सूचित करें ताकि हम अागामी संस्करण में उचित सुधार कर सकें। उनकी इस कृपा के लिए हम उनके कृतज्ञ रहेंगे। इस आठवें भाग के छपाने में श्री प०हनुमानप्रसादजी शर्मा शास्त्री ने अध्यवसायपूर्वक बड़ा परिश्रम उठाया है अतएव हम उन्हें धन्यवाद देते हैं । अन्त में इस ग्रान्य के लेखन, सकलन, सशोधन प्रकाशन प्रादि में हमें प्रत्यक्ष एव परोक्ष रूप से जिन जिन महानुभावों की सहायता प्राप्त हुई है उन सभी के प्रति भाभार प्रदर्शित हुए हम अपना यह वक्तव्य समाप्त करते हैं। पुस्तक प्रकाशन समिति ऊन प्रेस बिलिंग्स, बीकानेर । श्री सेठिया जैन पारमार्थिक संस्था, बीकानेर पुस्तक प्रकाशन समिति मध्यक्ष-श्री दानवीर सेठ भैरोदानजी सेठिया । मंत्री-- श्री जेठमलजी सेठिया। उपमंत्री-श्री माणकचन्दजी सेठिया । लेखक मण्डल श्री इन्द्रचन्द्र शास्त्री एम.ए., शास्त्राचार्य,न्यायतीर्थ, वेदान्तवारिधि । श्री रोशनलाल जैन वी. ए., एलएल.बी., न्यायतीर्थ, काव्यतीर्थ, सिद्धान्ततीर्थ, विशारद। श्रीश्यामलाल जैन एम.ए., न्यायतीर्थ, विशारद । श्री घेवरचन्द्र बाँठिया 'वीरपुत्र' न्यायतीर्थ, व्याकरणतीर्थ, सिद्धान्तशास्त्री।

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