Book Title: Jain Siddhanta Bol Sangraha Part 08
Author(s): Bhairodan Sethiya
Publisher: Jain Parmarthik Sanstha Bikaner

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Page 11
________________ (३) तथा स्वभाव की मधुरता आदि जो गुण होने चाहिये वे सभी आप में विद्यमान थे। इसलिये थोड़े ही समय में आपका व्यापार चमक उठा। धीरे धीरे आपने प्रयत्न करके भारत से वाहर बेल्जियम,स्विजरलैंड और वर्लिन आदि के रंग के कारखानों की तथा गवलंज ( Gablonz )आष्ट्रिया के मनिहारी के कारखानों की सोल एजे. सियाँ प्राप्त कर ली । फलतः आपको अधिक लाभ होने लगा और काम भी विस्तृत हो गया। इसी समय आपके बड़े भाई श्री अगरचन्दजी भी आपकी फर्म में सम्मिलित हो गये । अव फर्म का नाम 'ए.सी.बी सेठिया एन्ड कम्पनी' रखा गया। कार्य के विस्तृत हो जाने से आपने कर्मचारियों को बढ़ाया। फर्म की मुव्यवस्था के लिये आपने एक अंग्रेज को असिस्टेन्ट मैनेजर के पद पर नियुक्त किया और पत्र व्यवहार के लिये एक वकील को रकवा । कर्मचारियों के साथ आपका व्यवहार स्वामी-सेवक का नहीं किन्तु परिवार के सदस्य का सा रहा है। आपकर्मचारियों से काम लेना खुब जानते हैं और उन्हें सब तरह निभाते भी हैं । उक्त अंग्रेज आपके पास २७ वर्ष रहा और वकील बाबू आज भी आपके सुपुत्रश्री जेठमलजी साहब कीफर्म में हैं। आप स्वभाव से ही कर्मठ और लगन वाले हैं। आपने कार्य करना ही सीखा है, विश्राम तो आपने जाना ही नहीं। जिस कार्य फो आपने हाथ में लिया, उसे पूरा किये बिना आपने कभी नहीं छोड़ा। व्यापारिक जीवन में ऐसी सफलता पाकर भी आपने विश्राम नहीं लिया । आप और आगे बढ़ना चाहते थे। फलस्वरूप मापने हावड़ा में 'दी सेठिया कलर एन्ड केमिकल वर्कस लिमिटेड' नामक रंग का कारखाना खोला। यह कारखाना भारतवर्ष में रंग का सर्वप्रथम कारखाना था। कारखाने से तैयार होने वाले सामान की खपत के लिये आपने भारत के प्रमुख नगरों-कल

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