Book Title: Jain Siddhanta Bol Sangraha Part 08
Author(s): Bhairodan Sethiya
Publisher: Jain Parmarthik Sanstha Bikaner

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Page 16
________________ सेठिया जैन पारमार्थिक संस्थाओं के विभिन्न विभागों द्वारा पिछले वाईस वर्षों में, समाज में शिक्षा एवं धर्म प्रचार के जो महत्वपूर्ण कार्य हुए वे समाज के सामने हैं। सं०१९७६ में आपके पुत्र उदयचन्दजी का असामयिक देहान्त होगया। इस घटना से आप अत्यन्त प्रभावित हुए ।व्यापार व्यवसाय से आपका मन हट गया। श्रतएव कलकत्ते का विस्तृत व्यापार समेंट कर आप बीकानेर पधार गये। आपने पारमार्थिक संस्थाओं का कार्य हाथ में लिया और अपनी सारी शक्तियाँ संस्थाओं की उन्नति में लगा दीं। धार्मिक ज्ञानवृद्धि का भी आपने यह अच्छा सुयोग समझा।आपने थोकडे,वोल और स्तवनों का स्वयं संग्रह किया और उन्हें प्रकाशित कराया। इसके सिवा आपने संस्कृत,प्राकृत,प्रद्धेमागधी,आगम,न्याय,धर्मशास्त्र,हिन्दी,नीति और कानून विषयक पुस्त. के भी प्रकाशित की। इस वृद्धावस्था में भी आपने निरन्तर मं०१६६६ से पाँच वर्ष तक अथक परिश्रम कर अपूर्व लगन के साथ जैनसिद्धान्त बोल संग्रह के आठ भाग, सोलह सती और आईत प्रवचन ग्रन्थ तैयार करा प्रकाशित कराये हैं। आपकी ज्ञानपिपासा एवं ज्ञान प्रचार की भावना के फलस्वरूप संस्था से १०७ पुस्तकें प्रकाशित हुई हैं। आपकी दानवीरता एवं समाज तथा धर्म की सेवा का सम्मान कर सन् १९२६ में अखिल भारतवपीय श्रीश्वताम्बर स्थानकवासी जैन कॉन्फरन्स के कार्यकर्ताओं नेआपको कॉन्फरन्स के बम्बई में होने वाले सप्तम अधिवेशन का सभापति चुना। कॉन्फरन्स का यह अधिवेशन वड़ाशानदार और सफल हुआ । आपकी दानशीलता के प्रभाव से उस अधिवेशन में एक लाख से अधिक फंड इकट्ठा हुआ। समाज और धर्म की सेवा के साथ मापने बीकानेर नगर और राज्य की भी सेवा की लगभग दश वर्ष तक आप बीकानेर म्यूनिसि

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