Book Title: Jain Siddhanta Bol Sangraha Part 07
Author(s): Bhairodan Sethiya
Publisher: Jain Parmarthik Sanstha Bikaner

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Page 203
________________ श्री जैन सिद्धान्त बोल संग्रह, सातवी भाग -एक करण दो योग (३२) करू नहीं (३३) (३४) "" (३५) कराऊं नहीं (३६) 11 (३७) (३) अनुमोदूँ नही (३६) (४०) 12 11 " 19 (४१) करूँ नहीं (४२) 11 --- ?? (४३) ?? (४४) कराऊँ नहीं (४३) >> (४६) 13 (४७) अनुमोदूँ नहीं (४८) (४६) मन से वचन से मन से काया से ६--एक कर एक योग वचन से काया से मन से वचन से मन से काया से वचन से काया से मन से वचन से मन से काया से वचन से काया से २६६ मन से वचन से काया से मन से वचन से काया से मन से वचन से काया से " भूतकाल, वर्तमान काल और भविष्य काल इस प्रकार काल की अपेक्षा उनपचास भंगों को तीन से गुणा करने से १४७ भंग बनते हैं । (भगवती सूत्र आठ तक पांचवां उद्देथा )

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