Book Title: Jain Siddhant Pravesh Ratnamala 01
Author(s): Digambar Jain Mumukshu Mandal Dehradun
Publisher: Digambar Jain Mumukshu Mandal

View full book text
Previous | Next

Page 210
________________ ( 202 ) धर्म (7) स्पर्श (8) गतिहेतुत्व (6) पुण्य-पाप (10) दुःख (11) अवगाहनहेतुत्व (12) उपवास (13) भक्ति पूजा (14) नाचना (15) पूजा की सामग्री (16) दान (17) कर्म (18) भावकर्म (16) ज्ञान (20) केवलज्ञान (21) मोक्ष (22) संसार (23) चारित्र (24) श्रावक (25) मुनिपना (26) दौड़ना (27) बैठना (28) मिथ्यात्व (26) सम्यक्त्व (30) रस (31) खट्टा (32) जैन (33) कषाय (34) परिणमनहेतुत्व (३५)बुखार (36) बुखार पर द्वेष (37) पाहारक शरीर (38) प्रौदारिक शरीर (36) मेज (40) सुगंध / I यह क्या है ? यदि पर्याय है तो किस गुण को है ? और यदि गुण है तो किस द्रव्य का हैं ? स्पष्ट खुलासा करो ? उ० (1) जीव-द्रव्य है, और चैतन्य जीव का लक्षण है। (2) शरीर-पर्याय है / अनंत पुद्गलों की स्कंधरूप पर्याय है / (3) बुखार =पुद्गल द्रव्य के स्पर्श गुण की विभाव अर्थ पर्याय (4) सिद्ध =जीव द्रव्य के सम्पूर्ण गुणों की स्वभाव अर्थ पर्याय और एक स्वभावव्यंजन पर्याय है / (5) दया -जीव द्रव्य के चारित्र गुण को विभाव अर्थ पर्याय (6) धर्म=I धर्म नाम का एक द्रव्य है। II सम्यग्दर्शनादि शुद्ध भावों को धर्म कहा है / III वस्तु स्वभाव को धर्म कहते हैं। (7) स्पर्श-पुद्गल द्रव्य का विशेष गुण है /

Loading...

Page Navigation
1 ... 208 209 210 211 212 213 214 215 216 217 218 219