Book Title: Jain Siddhant Pravesh Ratnamala 01
Author(s): Digambar Jain Mumukshu Mandal Dehradun
Publisher: Digambar Jain Mumukshu Mandal

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Page 208
________________ ( 200) उ. अन्योन्याभाव को छोड़कर तीनों लग सकते हैं ? म० 100. कर्मोदय के कारण राग हुमा, तो कौन से प्रभाव को भूलता है ? उ० प्रत्यंताभाव को भूलता है। प्र० 1.1. द्रव्यलिंग से भावलिंग प्रकट होता है, तो किस प्रभाव को भूला ? उ० प्रत्यंताभाव को भूलता है / म. 102. मुनिराज बाह्य पांच समिति गुप्ति को पालते हैं,तो किस प्रभाव कों भूला ! उ० अत्यंताभाव को भूलता है। प्र. 103. दो द्रव्यों का कर्ता एक है, तो किस प्रभाव को भूला ? उ० अत्यंताभाव को भूलता है / प्र० 104. क्रमबद्ध पर्याय को न मानने वाला किस प्रभाव को भूलता है? उ० प्रागभाव मोर प्रध्वंसाभाव को भूलता है। प्र० 105. मागभाव पौर प्रध्वंसाभाव को न माने तो कोन सामान्य गुण उर जाता है? उ० व्यत्व गुण उड़ जाता है। म. 106. अत्यंताभाव को न माने तो कौनसा सामान्य गुण पड़ जाता उ. मगुरुलघुत्व गुण उड़ पाता है।

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