Book Title: Jain Shastro me Ahar Vigyan
Author(s): Nandlal Jain
Publisher: Z_Parshvanath_Vidyapith_Swarna_Jayanti_Granth_012051.pdf

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Page 7
________________ जैन शास्त्रों में आहार विज्ञानं १८७ सारिणी ४ अशन/धान्य तधा पानकों के विविध रूप निशीथचूणि श्रुतसागर षट्पानक षट्पानक (सा० धर्मामृत) (भ० आ०) (अ) कार्बोहाइड्रेटी १. गेहँ १ गेहूँ १ गेहूँ १. धन (दही आदि) स्वच्छ (नींबू रस) २. शालि २ शालि २ शालि २. तरल (अम्ल रस) बहल (फल रस) । ३. व्रीहि ३. लेपि लेपि (दही) ४. षष्टिक ३ यव ३ यव ४. अलेपि अलेपि - ५. यव ४ कोद्रव ५. ससिस्थ ससिक्थ (दूध) ६. कोद्रव ५ कंगु (धान ६. असिक्थ असिक्थ (मांड) विशेष) ७. कंगु ६ रालक, ८. रालक ७ मठवणक (ज्वार) (ब) प्रोटीनी तीन-पेय ९. मूंग ४. मूंग ८ मूंग १ पान (सुरायें, मद्य) १०. उड़द ५. उड़द ९ उड़द २ पानीय ११. चना ६. चना १० चणक ३ पानक (फल रसादि) १२. अरहर ७. अरहर ११ अरहर १०. राजमा १४. अतीसंद (मटर) १२ राजमा (रमासी) १५. मसूर १३ मकुष्ट (वनमूंग) १६. कालोय (मटर) १६. अगुक (सेम) १४ सिंवा (सेम) १८. निष्याव (मखनास) १५ की नाश (मसूर) १९. कुलथी (बटरा) १६ कुलथी (बटरा) (स) वसीय २०. तिल १७ सर्षप २१. अलसी १८ तिल २२. त्रिपुड द) विविध २३. इक्षु . ३४. धनियाँ Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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