Book Title: Jain Shastro me Ahar Vigyan
Author(s): Nandlal Jain
Publisher: Z_Parshvanath_Vidyapith_Swarna_Jayanti_Granth_012051.pdf
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________________ 194 प्रो० नन्दलाल जैन मधु (ब) परिरक्षितः 5. अचार-मुरब्बा अचार-मुरब्बा अचार-मुरब्बा (स) स-स्थावर जीव घात 6-10 पंचोदुंबर फल पंचोदुंबर फल पंचोदुबर फल 11. मांस मांस मांस 12. मधु मधु 13. अनंतकायिक अनंतकायिक कंदमूल 14. बहुबीजक बहुबीजक बहुबीजक 15. बैंगन बैंगन बैंगन (द) विविध 16. विष विष विष 17. बर्फ बर्फ बर्फ 18. ओला ओला ओला 19- तुच्छ फल तुच्छ फल 20. अज्ञात फल अज्ञात फल अज्ञात फल 21. मृत जाति/लवण कच्चे लवण 22. रात्रि भोजन रात्रि भोजन रात्रिभोजन कच्ची माटी कोटियों में पुनरावृत्ति भी है। उदाहरणार्थ, चलित रस में मद्य, मक्खन, द्विदल, अचारमुरब्बा समाहित होते हैं और बहुबीजक में बैगन आ जाता है। इन्हें चार कोटियों में वर्गीकृत कर वैज्ञानिक दृष्टि से समीक्षित किया जाना चाहिए। आज अनेक प्रकार के प्राकृतिक एवं संश्लेषित खाद्य पदार्थों का युग है। उनकी भक्ष्याभक्ष्य विचारणा भी आवश्यक है। इस पर अन्यत्र चर्चा की गई है। 1. जैन, एन० एल; जैन शास्त्रों में भक्ष्याभक्ष्य विचार, (प्रेस में) Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org