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વિદ્વાનાંસે આવશ્યક પ્રશ્ન
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किए हैं, जिससे यद्यपि पुस्तक की प्रामाणिकता बहुत ही बढ़ गई है, फिर भी जैसी सर्वागसुन्दर में इस पुस्तक को बनानी चाहता हुं उसमें निम्न बातों की अपूर्णता है यदि विद्वान् परिश्रम करके शीघ्र मुझे सूचना देने का कष्ट करेंगे तो मैं बहुत ही कृतज्ञ हूंगा:
(१) मेरे पास श्रीमान् जिनविजयजी, श्रीयुत बाबू पुरणचंद्रजी नाहर और श्रीयुत मुनिराज जयंतविजयजी ( आबूका संग्रह ) के लेख संग्रह आए हैं। आचाश्री बुद्धिसागरसूरिजी प्रकाशित धातुप्रतिमा लेख संग्रहों में से भी सूची आ जावेगी । इनके सिवाय अन्य किसी लेख संग्रहमें या किसी सामयिक पत्र में कोई लेख श्री हीरविजयसूरिजी की कराई हुई प्रतिष्ठा का प्रकाशित हुआ हो तो उसका संवत्, मास और तिथि तो अवश्य ही लिख भेजें। यदि लेख अधिक महत्त्वपूर्ण हो तो पूरा उद्धृत करदें । ताकी श्री हीरविजयसूरिजी द्वारा कराई हुई प्रतिष्ठाओंकी सम्पूर्ण तालिका प्रकट की जासके । मेरी उस्त पुस्तक के विषयोपयोगी यदि अन्य किसी पश्चात्वर्ती आचार्यादि का कोई महत्त्वपूर्ण लेख हो तो वह भी सूचित कर दें ।
(२) श्री हीरविजयसूरिजीका कहीं कोई तत्कालीन चित्र या हस्तलिपि उपलब्ध हो तो उसका ब्लोक बनवाकर प्रकाशित करना अत्यन्त आवश्यक है अतः शीघ्र भेजें । खर्चा दिया जायगा ।
(३) श्री हीरविजयसूरिजी की जो कुछ भी कृतियां उपलब्ध हों उनकी श्लोक संख्या सहित सूची व साथमें यदि रचना संवत् उसमें उल्लिखित हो तो वह भी साथमें लिखें।
(४) श्री हीरविजयसूरीजी की मूर्तियों और चरण पादुकाओं की पूरी सूचीः(अ) जहां जहां इस समय में विद्यमान हों उनके लेख भी साथमें उतारकर भेजने की कृपा करें एवं वे किस स्थान में किस परिस्थिति में विराजमान हैं यह भी सूचित करें ।
(आ) जहां पर कुछ समय पहिले विराजमान थी और अब उठादी हों तो वह कब ? और अब वह कहां पर किस परिस्थिति में हैं ?
(इ) ऐसे प्राचीन सब उल्लेख भी सूचित करें कि जहां पर उनके स्थापत्य पहिले विराजमान किये गए थे, किन्तु अब उपलब्ध नहीं है, ग्रन्थका नाम स्थल सहित सूचित करें। जैसे कि विजय प्रशस्ति काव्य और हीरविहारस्तव में हैं। ये मेरे पास है ।
(५) आगरे के सिवाय अन्य स्थानों में श्रीहीरविजयसूरिजी द्वारा स्थापित कराए हुए ज्ञानभाण्डागारों की सूची एवं उनके द्वारा लिखवाई या उनको समर्पण की हुई पुस्तकों की सूची ।
(६) पं श्री विवेकहर्षकृत सं. १६५२ का श्री हीरविजयसूरि रास और कवि ऋषभकृत सं. १६८४ का उक्त सूरिजी के 'बार बोल रास ' प्रतियां। जिन के आवश्यक नोट लेकर शीघ्र लौटा दी जावेंगी ।
(७) जैनयुग मासिक की पांचवें वर्ष की फाइल । आवश्यक नोट लेकर वापिस कर दी जावेगी ।
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