Book Title: Jain Sahitya ka Itihas 01
Author(s): Kailashchandra Shastri
Publisher: Ganeshprasad Varni Digambar Jain Sansthan

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Page 11
________________ जैनसाहित्यका उद्गम श्रुतावतार कप्रायप्राभृतके रचयिता गुणधर् आर्यमक्षु और नागस्ती गुणघर और धरसेन २० कषायपाहुड नाम और विषयवस्तु २५ अधिकारो और गाथाओका विभाग २६ कषायपाहुड गाथा सख्या 19 12 17 29 कर्मसिद्धान्त षट्खण्डागम-रचनाकाल 17 २८ 'की गाथाओका सूत्रत्व ३० ३४ ३५ ३७ ४३ 11 शैली विषय परिचय रचनास्थान रचयिता रूपरेखा निर्माण नाम 21 संतकम्मपाहुड खण्डोके नाम अग्रायणीपूर्वका विवेचन विषय परिचय १ जीवद्वाण २ खुद्दावन्ध ३ बन्धस्वामित्वविचय विषय-सूची ४ वेदनाखण्ड ५ वर्गणाखण्ड 21 ६७ ९२ ९५ १०० १२३ १ बन्धन अनुयोगद्वार १३२ २ बन्धक १३५ ३ बन्धनीय १३५ 17 ४४ ४५ ४७ / ५१ ५३ ५९ ६५ कसायपाहुड और षट्खण्डागमका तुलनात्मक विवेचन - १४५ छक्खण्डागम और पण्णवणा और कर्मप्रकृति महाबन्ध 13 " "" " चूर्णिसूत्र साहित्य कसायपाहुड और चूर्णिसूत्र चूर्णिसूत्रोकी रचनाशैली आगमिक व्याख्यानशैली छक्खण्डागम और चूर्णिसूत्रोंकी 32 अनुयोगद्वार और चूर्णिसूत्र चूर्णिसूत्र - ऐतिहासिक महत्त्व रचयिता यतिवृषभकी रचनाएँ चूर्णिसूत्रकी विषयवस्तु धवलाटीका - नाम 11 11 32 स्थितिबन्ध अनुभागबन्ध प्रदेशबन्ध ,, वीरसेन स्वामी 27 11 31 महत्व प्रामाणिकता विपयपरिचय तुलना १९५ २०० २०१ २०३ १४९ १५० गुरु एलाचार्य बहुज्ञता समय विमर्श रचनाएँ १५२ १५७ - १५९ १६३ १७० १७४ १७८ १८५ २०८ २१० २१५ २१६ २१७ २२१ २४१ २४२ २४३ २४५ २५०

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