Book Title: Jain Paribhashika Shabdakosha
Author(s): Chandraprabhsagar
Publisher: Prakrit Bharti Academy

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Page 9
________________ अकर्मबन्ध-जीव-प्रदेशो को आबद्ध करने वाला मार्ग । अकषाय-विकारों से मुक्ति । अकाम-निर्जरा-अवाछित सहिष्णुता द्वारा होने वाला कर्म-क्षय । अकाम-मरण-१. निष्काम-मरण । २. बिना चाहे होने वाली ___ मृत्यु । अकायिक-स्थूल और सूक्ष्म शरीर रहित आत्मा ; अयोगी केवली ; सिद्ध । अकाल मृत्यु मृत्यु के निर्धारित समय से पूर्व शरीरान्त होना। अकिञ्चनता–सम्पूर्ण अपरिग्रह-वृत्ति । अकिञ्चित्कर-हेत्वाभाव-साध्य की सिद्धि के लिए प्रत्यक्ष आदि से बाधित हेतु । अकृत-समुद्घात मृत्यु के समय शरीर के संकोच-विस्तार से रहित केवली-अवस्था । अक्रियावाद-परलोक-विषयक आचार-विचार को अस्वीकार करने वाला दर्शन। [ १]

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