Book Title: Jain Pandulipiya evam Shilalekh Ek Parishilan
Author(s): Rajaram Jain
Publisher: Fulchandra Shastri Foundation

View full book text
Previous | Next

Page 2
________________ प्राचीन ज्ञान-विज्ञान की अमूल्य धरोहर जैन पाण्डुलिपियाँ एवं शिलालेख : एक परिशीलन (सिद्धान्ताचार्य पं. फूलचन्द्र शास्त्री शताब्दी समारोह वर्ष के उपलक्ष्य में प्रदत्त दो स्मारक - व्याख्यानों के माध्यम से पाण्डुलिपियों की आवश्यकता, उनके उद्भव और विकास, प्रारम्भिक लेखनोपकरण-सामग्री, पाण्डुलिपि प्रकार, लिपि-भेद, भारतीय इतिहास के निर्माण में जैन - शिलालेखों, ग्रंथ - प्रशस्तियों एवं पुष्पिकाओं के योगदान, विदेशों में सुरक्षित लक्षाधिक भारतीय पाण्डुलिपियाँ, फारसी भाषा एवं लिपि में उपलब्ध जैन पाण्डुलिपियाँ आदि-आदि पर प्रथम बार प्रस्तुत प्रेरक - रोचक सामग्री) प्रो. डॉ. राजाराम जैन, डी. लिट् (राष्ट्रपति सहस्राब्दी सम्मान पुरस्कार (२००० ई.) द्वारा सम्मानित) पूर्व यूनिवर्सिटी प्रोफेसर एवं विभागाध्यक्ष, ह. दा. जैन कालेज, आरा, बिहार (मगध विश्वविद्यालय) प्रकाशक सिद्धान्ताचार्य पं. फूलचन्द्र शास्त्री फाउण्डेशन, रुड़की (उत्तराखण्ड) एवं श्री गणेश वर्णी दिगम्बर जैन संस्थान नरिया, वाराणसी (उ.प्र.) २००७ ई.

Loading...

Page Navigation
1 2 3 4 5 6 7 8 9 10 11 12 13 14 15 16 17 18 19 20 21 22 ... 140